Saturday, November 23, 2024
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30 साल बाद दुर्लभ संयोग और राजयोग में होगा हिंदू नववर्ष व चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ

रोहतक। हिंदू नववर्ष का शुभारंभ चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह 09 अप्रैल 2024 मंगलवार से प्रारंभ होगा। हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 प्रारंभ होगा। इस बार 30 वर्षों के बाद वर्ष की शुरुआत दुर्लभ संयोग और 3 राजनयोग में हो रही है। किसी भी प्रकार का शुभ कार्य इस किया जा सकता है या किसी शुभ काम की शुरुआत की जा सकती है।

उथल पुथल वाला रहेगा यह वर्ष

ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल भारद्वाज गढ़ी ने बताया विक्रम संवत 2081 का प्रारंभ 9 अप्रैल मंगलवार से हो रहा है। इस संवत का नाम कलयुक्त और पिंगल रहेगा। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मपुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि भगवान विष्णु ने सृष्टि के निर्माण का कार्य ब्रह्मदेव को सौंपा और चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली प्रतिपदा तिथि पर ही ब्रह्म ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए इस तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है और इसे नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।

यह रहेंगे दुर्लभ संयोग

इस वर्ष का राजा मंगल, मंत्री शनि और वर्ष का नाम पिंगला है। इस वर्ष 7 विभाग क्रूर ग्रहों को और 3 विभाग शुभ ग्रहों को मिले हैं। मंगल के राजा और शनि के मंत्री होने से यह वर्ष बहुत ही उथल पुथल वाला रहेगा। शासन में कड़ा अनुशासन देखने को मिलेगा। नवसंवत्सर का प्रवेश धनु लग्न में होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि, सिद्धि योग, वैधती योग के साथ ही रेवती नक्षत्र रहेगा। धनु लग्न होने से उत्तर पूर्व दिशा में सुख समृद्धि रहेगी, मध्यक्षेत्र में वर्षा की अधिकता रहेगी। पश्चिम में खाद्य वस्तुएं सस्ती होगी। वरुण नाम का मेघ बारिश कराएगा।

शुभ योग : इस दिन अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, पुष्य नक्षत्र योग, आयुष्यमान योग का निर्माण हो रहा है। रेवती और अश्विनी नक्षत्र भी संयोग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा गुरु की राशि मीन में होंगे। शुक्ल योग प्रात: 9 बजकर 18 मिनट तक इसके बाद ब्रह्म योग 9 बजकर 19 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजे तक रहेगा।

राजयोग : शनि के स्वराशि में होने शश राजयोग का निर्माण हो रहा है। चंद्रमा के साथ गुरु के होने से गजकेसरी राजयोग का निर्माण हो रहा है। सूर्य शुक्र की युति से राजभंग योग का निर्माण भी हो रहा है।

शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल 2024

ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 03.56 से प्रातः 04.44 तक
प्रातः संध्या- 04.20 से प्रातः 05.32 तक
अभिजीत मुहूर्त- 11.06 पूर्वाह्न से 11.54 पूर्वाह्न तक
विजय मुहूर्त- 01.30 अपराह्न से 02.17 अपराह्न तक

शनि को मिलेगा मंत्री पद

मान्यताओं के अनुसार हिंदू नववर्ष पर जो दिन पड़ता है, उसे ही वर्ष का राजा माना जाता है। इस नववर्ष के दिन मंगलवार रहेगा, इसलिए नए संवत्सर 2081 के राजा मंगल होंगे। इस साल नव वर्ष के मंत्री शनि बनेंगे। वर्ष के राजा का प्रभाव पूरे साल मानव जीवन पर पड़ता है। इस संवत के राजा मंगल ग्रह के कारण हैं, मंगल को ग्रहों के सेनापति के रूप में जाना जाता है। साथ ही यह पराक्रम, साहस, सेना प्रशासन, सिद्धांत के कारक भी माने गए हैं। मंगल का राजा के रूप में स्थापित होना अधिक शुभ नहीं माना जाता।

चैत्र मास के नवरात्रि भी होंगे शुरू

हिंदू नव वर्ष के साथ-साथ चैत्र मास के नवरात्रि भी प्रारंभ हो जायेंगे जो 9 अप्रैल से प्रारंभ होने और 17 अप्रैल रामनवमी बुधवार के दिन इनका समापन होगा। उन्होंने बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा शक्ति की नौ अलग- अलग स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है, जिसमे मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, माता सिद्धिदात्री की उपासना होती है। इन नौ दिनों में माता के व्रत-उपासना की जाती है। दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा व माता के विभिन्न स्तोत्र का पाठ किया जाता है।

इस नवरात्रि माता का वाहन घोड़ा रहेगा

वैसे तो माता रानी सिंह (शेर) की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्र में धरती पर आते समय उनकी सवारी बदल जाती है। मां जगदंबे की सवारी नवरात्र के प्रारंभ होने वाले दिन पर निर्भर करती है। नवरात्रि का प्रारंभ जिस दिन होता है, मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी। घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता, तनाव, अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध आदि की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है। जबकि माता रानी हाथी पर प्रस्थान करेंगी। हाथी की सवारी काफी शुभ मानी जाती है। जिससे माता रानी भक्तों को सुख समृद्धि देकर विदा होंगी।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

उन्होंने बताया कि नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए (घटस्थापना) कलश स्थापना की जाती है। 9 अप्रैल को सुबह 7:31 बजे तक पंचक रहने वाला है। इसके बाद ही घट स्थापना करना शुभ रहेगा। इसलिए इससे पहले घट स्थापना (कलश स्थापना) न करें। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 9:17 बजे से सुबह 10:52 बजे तक रहेगा। इसके बाद अभिजित मुहूर्त में दोपहर 12:02 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक रहेगा। कलश स्थापना के साथ ही इस दिन जौ भी बोये जाते हैं जो कि जीवन में वृद्धि और सफलता का संकेत लेकर आते हैं। उन्होंने बताया कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य पूजा अनुष्ठान हमेशा ही सफल होता है।

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