Sunday, November 24, 2024
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साइबर ठगों का नया पैंतरा ‘आप पहचान गए’, रिश्तेदार बन कर बना रहे लोगों को निशाना

पुलिस अधीक्षक ने इस बारे में एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि इस तरह के ठगों से सावधान रहें। अगर इस तरह की कोई कॉल आपके पास आती है तो पहले अच्छी तरह इसकी जांच कर लें, उसके बाद ही अगला कदम उठाएं।

रोहतक। साइबर ठग इन दिनों ‘आप पहचान गए’ की तर्ज पर लोगों को फोन कर रिश्तेदार या दोस्त होने का झांसा देकर ठगी का नया ट्रेंड चला रहे हैं। रोहतक जिले में आधा दर्जन से अधिक लोग झांसे में आकर रकम गंवा बैठे हैं तो कुछ समझदारी दिखाते हुए साइबर ठग के मकडज़ाल में फंसने से बच गए। पुलिस की माने तो किसी भी नम्बर से फोन आने पर लेनदेन से पहले यह पुष्टि जरूर कर लें कि जो आपको रुपए भेजने या मांगने वाला अपना है या साइबर तो नहीं है।

पहचानिए कौन बोल रहा हूं

पहले अंजान नम्बर से एक फोन आता है और सामने वाला कहता है पहचानिए कौन बोल रहा हूं, आप पहले तो समझ नहीं पाते और फिर कहते हैं दिल्ली वाले शर्मा जी, कॉल करने वाला कहता है अरे आप ने तो पहचान लिया। फोनकर्ता फिर कहता है, मेरे अकाउंट में तकनीकी समस्या की वजह से रुपए का ट्रांजेक्शन नहीं हो रहा है, यूपीआई के माध्यम से पांच हजार या अधिक रकम डालने की बात कहता है। फोनकर्ता कहता है कि मैं एक रुपए भेज रहा हूं आए तो पुष्टि करिएगा। रुपए गए या नहीं कहते हुए जानकारी लेता हैं, उसके बाद वह पांच हजार या अधिक रुपए भेजने का मैसेज भेजता है।

साइबर ठगी की ट्रिक

इसका मैसेज के माध्यम से यूपीआई मैसेज पहुंचता है। इसके माध्यम से 20 हजार या अधिक रुपए आने का मैसेज प्राप्त होता है। टेस्ट मैसेज देख कर लगता है कि अकाउंट में रुपए आ गए हैं। कुछ देर बाद साइबर ठग बने रिश्तेदार का फोन आता है और आवश्यकता का हवाला देते हुए कहता है कि पांच हजार रुपए भेज दीजिए कहता हैं। फिर से रुपए मांगने के लिए कॉल आता है। साइबर ठग यूपीआई को हैक करने की ट्रिक आजमाते हैं, जो जाल में फंस जाता है उससे लाखों की ठगी हो जाती है और जो साइबर ठग की ट्रिक को समझ लेते हैं वे बच जाते हैं।

विदेशों में पढ़ाई करने गए बच्चों के नाम पर ठगी

एसपी रोहतक हिमांशु गर्ग ने बताया कि आजकल बहुत से बच्चे विदेशों में पढ़ाई के सिलसिले में गए हैं। साइबर ठग इसी चीज का फायदा उठाते हुए विदेशों से कॉल करते हैं और कहते हैं कि आपके रिश्तेदार या आपके बच्चे का झगड़ा हो गया है और उस झगड़े में समझौता कराने के लिए पैसे देने पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त साइबर ठग आपको यह भी कहते हैं कि आपके रिश्तेदार या आपके बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है। उसको पुलिस ने पकड़ लिया है। उसको बचाने के लिए पैसे देने पड़ेंगे।

इसके अलावाा, ठग कहते हैं कि आपके बच्चे को किसी केस में पुलिस ने पकड़ लिया है, जिसकी एवज में वह आपसे पैसों की डिमांड करते हैं। हम अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए बिना सोचे समझे ही उनको पैसे भेज देते हैं। बाद में पता चलता है कि हमारे साथ तो ठगी हुई है। इसके अतिरिक्त विदेश से कोई आपका रिश्तेदार बनकर आपको कॉल करता है कि उसने आपके खाते में पैसे डाले हैं, वह पैसे आप से भारत में कोई एजेंट ले लेगा। साइबर ठग डाले हुए पैसों की नकली रसीद भी आपको व्हाट्सएप पर भेजता है। जब तक आप कुछ समझ पाते हैं आप ठगे जा चुके होते हैं। पछताने के अलावा आपके पास कुछ नहीं बचता।

साइबर ठगों से बचने के लिए एडवाइजरी

पुलिस अधीक्षक ने इस बारे में एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि इस तरह के ठगों से सावधान रहें। अगर इस तरह की कोई कॉल आपके पास आती है तो पहले अच्छी तरह इसकी जांच कर लें। उसके बाद ही अगला कदम उठाएं। हमें सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। साइबर अपराधी अपराध करने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। आमजन की जागरूकता से ही साइबर अपराधियों के चंगुल में आने से बच सकते हैं। अगर आप साइबर क्राइम का शिकार होते हैं तो तुरंत भारत सरकार द्वारा जारी साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काॅल करें। साइबर धोखाधड़ी के मामलों में अपनी शिकायत नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल https//www.cybercrime.gov.in पर या साइबर क्राइम थाना या नजदीकी थाना/चौंकी में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

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