चंडीगढ़। जाट आरक्षण आंदोलन में कार्रवाई पर कार्यवाहक चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया व जस्टिस लुपिता बनर्जी पर आधारिक बैंच द्वारा सवाल उठाने पर मामले की स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी गई। एसआईटी ने आरक्षण आंदोलन के दौरान मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व हिंसा पर रिपोर्ट पेश की थी। जिस पर कोर्ट ने एसआईटी की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि एक एसआईटी कैसे 2000 से अधिक मामलों की जांच कर सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने जांच के लिए गठित आईजी अमिताभ ढिल्लो से मामले की स्टेट्स रिपोर्ट अदालत में पेश करने के आदेश दिए थे।
एसआईटी की जांच पर उठाए सवाल
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा, आगजनी व सामूहिक दुष्कर्म के दर्ज करीब दो हजार मामलों में से सरकार 407 केस वापस लेना चाहती है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया व जस्टिस लुपिता बनर्जी पर आधारिक डिवीजन बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद न केवल सभी पक्षों को अतिरिक्त समय देने के लिए सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित की, बल्कि सुनवाई के दौरान एक एसआईटी से करीब दो हजार मामलों की जांच करवाने पर भी सवाल उठाए।
407 केस वापस लेने की लेगी इजाजत
हरियाणा सरकार आरक्षण आंदोलन के दौरान जाट नेताओं पर दर्ज मामलों में से कुछ को वापस लेने के लिए कोर्ट से इजाजत लेगी। सरकार आरक्षण आंदोलन में दर्ज करीब दो हजार मामलों में से 407 केस वापस लेना चाहती है। जिसके लिए कोर्ट में सुनवाई के दौरान अर्जी देकर इजाजत लेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद पूरा नहीं हुआ ट्रॉयल
इस पर हाई कोर्ट ने सीबीआई को ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामलों के स्टेटस की जानकारी मामले की अगली सुनवाई पर हाई कोर्ट को दिए जाने के आदेश दिए थे, साथ ही पूछा है था कि वह बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ट्रायल पूरा किये जाने में देरी क्यों हो रही है। क्या इस देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई अर्जी दायर कर और समय की मांग की है या नहीं। लेकिन फरवरी 2019 के बाद इस मामले में हाई कोर्ट में कोई ठोस सुनवाई नहीं हो पाई।& /> जाट आरक्षण आंदोलन के चलते मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व राज्य में हिंसा मामले में हाई कोर्ट 24 फरवरी 2016 को संज्ञान लेकर इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे।