Wednesday, October 23, 2024
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भारत में बढ़ा सांपों से डसवाने के नशे का क्रेज़ , डसवा रही जगहें सुनकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे

भारत में सांपों से डसवाने के नशे का क्रेज़ बढ़ता जा रहा है। आजकल बड़ी -बड़ी पार्टियों में हाई क्लास के लोगों द्वारा एक अजीब किस्म के नशे का प्रयोग किया जा रहा है। लोगों द्वारा नशे के रूप में सांपों के ज़हर का उपयोग किया जा रहा है जिससे बच्चों से लेकर बड़े तक अलग-अलग तरह के नशे की गिरफ्त में हैं। इसमें सांपों को जानबूझकर उनके पैरों या जीभ पर कटवाया जाता है। बात अगर नशीले पदार्थों की करें, तो इसमें शराब, अफीम, चरस, गांजा, हेरोइन, कोकीन शामिल हैं, लेकिन अब लोगों को नशे की लत इतनी भयंकर लग गई है कि उन्‍होंने सांप और बिच्‍छु के जहर का नशा करना शुरू कर दिया है।

आपको बता दें कि सांप के जहर का उपयोग आमतौर पर मनोरंजन औषधि के रूप में किया जाता है। जिसे रीक्रिएशनल ड्रग नाम दिया गया है। हालांकि, यह अभी तक स्‍पष्‍ट नहीं है कि जहर की कौन सी क्‍वालिटी मानव शरीर के लिए घात‍क हो सकती है। इसलिए विशेषज्ञों का सुझाव है कि सांप के जहर के उपयोग से न केवल लत लग सकती है, बल्कि यह मौत के लिए भी जिम्‍मेदार है । तो आइए जानते हें आखिर कितना खतरनाक है सांप का जहर।

 

अब तक हमने लोगों को निकोटीन, कैनबिस और अफीम को मनोरंजक दवाओं के रूप में लेते देखा है, लेकिन कुछ लोग नशा पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।आजकल, वे अपनी लालसा को संतुष्ट करने के लिए अलग-अलग तरह के सांप, सरीसृपों और बिच्छुओं के जहर का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें कोबरा, क्रेट और यहां तक कि हरे सांप भी शामिल हैं। इनमें न्यूरोटॉक्सिन होते हैं जो एक खास तरह के रिसेप्टर्स से जुड़ते हैं। इनमें एनाल्जेसिक प्रभाव होता है। यह एनाल्जेसिक प्रभाव उन्हें अच्‍छा महसूस कराने में मदद करता है।

जानबूझकर सांप से पैरों या जीभ पर कटवाते हैं लोग
भारत में पिछले कुछ सालों में, मुंबई, रांची और वेल्लोर से इन मामलों की रिपोर्टें आई हैं, जो युवा पुरुषों द्वारा सांप के जहर के इस्‍तेमाल पर प्रकाश डालती हैं। डॉक्‍टर बताती हैं कि युवा वयस्क उत्साह और खुशी की भावना का अनुभव करने के लिए अपने तलवे, पंजे, हाथ की उंगलियों या जीभ पर सांप से कटवाते हैं। यह स्थिति तीन से चार सप्ताह तक रह सकती है। हर व्‍यक्ति पर इसका असर अलग-अलग तरह से हो सकता है।

विष क्‍या करता है, यह जानकर आप भी एक बार को सिहर जाएंगे। लोग जहर के असर को बढ़ाने के लिए पहले सांप को केमिकल्‍स का इंजेक्शन लगाते हैं। इसके बाद वे जानबूझकर सांप से जीभ या होठों पर कटवाते हैं। जहर में न्यूरोटॉक्सिन नर्वस सिस्‍टम को टारगेट करते हैं। जिससे व्‍यक्ति को मांसपेशियों में कमजोरी और पैरालिसिस का अनुभव होता है।

क्‍या होता है असर
सांप के काटने के दौरान, व्‍यक्ति झटकेदार हरकतें कर सकता है। उसे धुंधला दिखाई देने लगता है। दो से चार सप्‍ताह तक वह सामान्‍य महसूस करता है, लेकिन एक बार जब काटने का असर खत्म हो गया, तो वह चिड़चिड़ा और सुस्‍त हो जाता है, साथ ही ड्रग्स की लालसा होने लगती है। इस लालसा को दूर करने के लिए वह सांप के जहर का उपयोग करने लगता हैं।

सांप के जहर से होने वाली जटिलताएं

डॉक्‍टर बताती हैं कि मजे और संतुष्टि के लिए इन दवाओं के रूप में सांप के जहर का इस्‍तेमाल करने से जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। इसमें व्‍यक्ति को सिरदर्द और सुस्ती महसूस हो सकती है। कई बार तो वो अपने होश भी खो देता है। गंभीर मामलों में, दौरे, सांस लेने में कठिनाई और अचानक से हृदय गति का रुकना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

बढ़ सकता है कार्डियक अरेस्‍ट का खतरा

रीक्रिएशनल ड्रग या मनोरंजक दवा के रूप में सांप के जहर का उपयोग करने से गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। इसमें एडिक्‍ट को सांस लेने में दिक्‍कत होने लगती है। साथ ही कार्डियक अरेस्‍ट का खतरा भी बढ़ जाता है।

शरीर में सांप के जहर का असर
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सांप के जहर का असर कभी-कभी शरीर में लंबे समय तक बना रहता है। तुरंत न सही, लेकिन कुछ हफ्ते बाद बाल झड़ना, मसूड़ों का सिकुड़ना, ठीक न होने वाले अल्सर या त्वचा पर छाले, सुनने की क्षमता में कमी, माइग्रेन सिंड्रोम, घरघराहट, सीने में जकड़न और पेट में दर्द की समस्या जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं।

सांप के जहर से नशा करने का चलन पूरे देश में तेजी सा फैल रहा है। लेकिन वैज्ञानिक अभी तक पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि जहर का न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव व्यक्ति को मारने वाला क्यों नहीं है। इस पर अभी भी कई तरह की रिसर्च चल रही हैं।

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