चंडीगढ़। हरियाणा सरकार से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब माँगा है कि धारा 506 देशभर में जमानती तो हरियाणा में गैर जमानती क्यों ? दरअसल एक याचिका में मांग की गई कि जनहित में इस धारा को जमानती अपराध की श्रेणी में रखा जाए ताकि पुलिस व राजनीतिज्ञ इस धारा का गलत इस्तेमाल न कर सकें। याची ने कहा कि आजादी से पहले 1932 में भारत सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में सीआरपीसी की धारा 506 को जमानती अपराध बताया था।
जान से मारने की धमकी देने से जुड़ी धारा जहां देश भर में जमानती अपराध है। वहीं, हरियाणा सरकार ने इसे गैर जमानती अपराध माना है। इसे पुलिस की ओर से अक्सर अपना हथियार बनाने और मनमुताबिक इस्तेमाल करने की दलील देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि आजादी से पहले 1932 में भारत सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में सीआरपीसी की धारा 506 को जमानती अपराध बताया था। हालांकि राज्यों को छूट दी गई थी कि वे चाहे तो इसे गैर जमानती अपराध के तौर पर अधिसूचित कर सकेंगे।
हरियाणा व दिल्ली में धारा को गैर जमानती रखा गया है, जिसे एडवोकेट अंशुल मंगला ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में मांग की गई कि जनहित में इस धारा को जमानती अपराध की श्रेणी में रखा जाए ताकि पुलिस व राजनीतिज्ञ इस धारा का गलत इस्तेमाल न कर सकें। एक्टिंग चीफ जस्टिस रीतु बाहरी पर आधारित खंडपीठ ने याचिका पर हरियाणा सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।