रोहतक। रोहतक के सुप्रसिद्ध विजयनगर चौहरा हत्याकांड में दो साल बाद नया मोड़ सामने आया है। दरअसल रोहतक के चौहरे हत्याकांड को लेकर अदालत ने पुलिस जांच पर सवाल उठाये हैं। इसी के तहत पुलिस से अदालत ने जांच के दौरान का सारा रिकॉर्ड और चोरी को लेकर सारा रिकॉर्ड अदालत में पेश करने के सख्त आर्डर दिए हैं। मंगलवार सुबह अभिषेक के अधिवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले का खुलासा किया। जिसमे पुलिस की घोर लापरवाही को उजागर किया गया।
आपको बता दें कि 27 अगस्त 2021 को रोहतक के विजय नगर निवासी प्राॅपर्टी डीलर प्रदीप उर्फ बबलू, उसकी पत्नी, बेटी व सास की उनके घर में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद हत्या के आरोप में बबलू के बेटे अभिषेक उर्फ मोनू को गिरफ्तार किया था। वहीं आरोपी अभिषेक के नाना ने 16 अक्तूबर 2021 को शिवाजी कॉलोनी थाने में आईपीसी की धारा 380 व 454 के तहत केस दर्ज कराया।
चोरी के केस में आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की। लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया था। इसी बीच चोरी के केस में आरोपी व शिकायतकर्ता पक्ष के बीच समझौता हो गया और पुलिस ने फाइल ही बंद कर दी।लेकिन अपने मामा-पिता, बहन व नानी की हत्या के आरोप में सुनारिया जेल में बंद अभिषेक उर्फ मोनू के वकील शिवराज मलिक ने अदालत में याचिका दायर कर पुलिस की ओर से चोरी के केस की गई जांच पर सवाल उठाए। अदालत ने पुलिस के उन अधिकारियों से शपथ पत्र मांगा, जो केस की जांच से जुड़े थे।
बचाव पक्ष के वकील शिवराज मलिक ने अदालत के फैसले में पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाए हैं। मुख्यमंत्री हरियाणा, गृहमंत्री अनिल विज तथा डीजीपी तक फैसले की कॉपी भेजी गई है। वकील ने सवाल किया चौहरे हत्याकांड के 45 दिन बाद अभिषेक के नाना केस दर्ज करवाते हैं कि घर से 25 लाख के जेवरात चोरी हुए हैं। पुलिस ने आरोपियों को काबू कर लेती है, लेकिन बाद में छोड़ देती है। कहती है कि दोनों पक्षों में समझौता हो गया।
शिकायतकर्ता कहता है कि चोरी नहीं हुई। जबकि पहले खुद चोरी का केस दर्ज करवाता है। इतना ही नहीं, एक जांच अधिकारी कहता है कि प्रॉपटी को मृतक बबलू पहलवान की मां के हवाले कर दिया था। जबकि दूसरा अधिकारी कहता है कि वारदात के बाद घर से कोई प्रॉपर्टी बरामद नहीं हुई। ऐसे में पूरी जांच सवालों के घेरे में है। गृहमंत्री मामले की गहराई से जांच करवाएं। जरूरत पड़ी तो वे हाईकोर्ट में जाकर नए सिरे से जांच की मांग करेंगे।
अदालत ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस ने इतने बड़े हत्याकांड के बाद भी घटनास्थल की वीडियोग्राफी क्यों नहीं करवाई ? दूसरा घर के जेवरात व प्रॉपर्टी के कागजात को हत्या के केस प्रॉपर्टी क्यों नहीं बनाया गया? जबकि चोरी की एफआईआर दर्ज कराते समय शिकायतकर्ता ने जेवरात व प्रॉपर्टी के कागजात का जिक्र किया, लेकिन हत्या के केस में कोई जिक्र नहीं है। अग्रिम जमानत पर बहस के दौरान अदालत के सामने एक वीडियो क्लीप आयी थी लेकिन हत्या के केस के रिकॉर्ड में उसको शामिल क्यों नहीं किया गया?
वहीँ पीड़ित पक्ष के वकील सुशील पांचाल ने बताया कि सारी कार्रवाई के बाद अदालत ने 30 पेज का फैसला दिया है, जिसमें पुलिस से चोरी के केस से जुड़ा रिकॉर्ड 29 नवंबर तक मांगा है। साथ ही वे फैसले का अवलोकन कर रहे हैं।