Raksha Bandhan: चंद दिनों के बाद ही भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार है। पूरा बाजार रंग-बिरंगी डिजाइन-डिजाइन की राखियों से भर गया है। लेकिन राजस्थान के उदयपुर में अलग तरह की राखियां तैयारी की जा रही है। ये राखियां पर्यावरण के लिए भी बहुत अनुकूल है। यहां आदिवासी क्षेत्र की महिलाएं गोबर से राखियां बना रही हैं।
गोबर से बनी एक राखी की कीमत मात्र 8 रुपए (Raksha Bandhan)
गाय के गोबर से तैयार हुई एक राखी की कीमत मात्र 8 रुपए है। उदयपुर जिले के जनजाति क्षेत्र गोगुंदा ने हैंड इन हैंड इंडिया नामक संस्था चल रही है। हैंड इन हैंड इंडिया संस्था के सहयोग से यहां की आदिवासी महिलाएं गोबर से राखियां बना रही हैं। हैंड इन हैंड इंडिया संस्थान के मुख्य प्रबंधक राजीव पुरोहित ने बताया कि संस्थान की तरफ से समूह की महिलाओं को गोबर से बने उत्पादों का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इससे वो अपने घर बैठे आजीविका का साधन कर सकें। गांवों में गांव आसानी से उपलब्ध हो जाता है। साथ ही साथ गाय के गोबर को सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक भी माना जाता है। गाय के गोबर का उपयोग पूजा-पाठ में किया जाता है।
कितने दिन में गाय के गोबर से तैयार होती है राखियां
प्रकाश मेघवाल ने बताया कि राखी बनाने के लिए सबसे पहले गोबर को एकत्र कर उसे दो से तीन दिन तक सुखाया जाता है। फिर उसे मशीन में आटे की तरह पीसा जाता है। पीसे हुए गोबर में लकड़ी का पाउडर मिलाया जाता है। इसके बाद इस मिश्रण में पानी मिलकर रोटी के आटे की तरह गूथा जाता है इसके बाद जैसी राखियां बनानी हैं, उस तरह के सांचे में डाला जाता है। दो दिनों तक राखी को धूप में सुखाया जाता है। जब राखी सूख जाती है तब उसे सुंदर दिखाने के लिए अलग-अलग रंगों को भरा जाता है। इसके बाद उसमें धागा चिपकाया जाता है। इसमें गोबर की जरा सी भी गंध नहीं आती है।
राखी के अलावा गोबर से इन चीजों का भी हो रहा है निर्माण
राखी के अतिरिक्त गिफ्ट आइटम, गणेश मूर्ति, राधा कृष्ण मूर्ति, स्वास्तिक गणेश मूर्ति, राखियां,दीपक, डिजाइनर दीपक,मोमेंटो, फोटो फ्रेम, नेमप्लेट बनाए जा रहे हैं।
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