देश के पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। गुरुवार रात उन्होंने दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली। उनका जन्म अविभाजित भारत में पंजाब के गाह गांव में हुआ था। विभाजन के दौरान उनका परिवार अमृतसर आकर पंजाब में बस गया। डॉ। मनमोहन सिंह का अमृतसर से गहरा रिश्ता है।
डॉ। 10वीं के बाद प्री-कॉलेज के लिए मनमोहन सिंह ने हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया। वह सितंबर 1948 में कॉलेज में शामिल हुए और प्रथम रैंक हासिल की। तत्कालीन प्रधानाचार्य संतराम ने उन्हें रोल कॉल ऑफ ऑनर से सम्मानित किया।
वह इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले छात्र थे। इसका जिक्र 2018 में हिंदू कॉलेज में आयोजित एलुमिनी मीट और कॉन्वोकेशन के दौरान डॉ मनमोहन सिंह ने खुद कहा था। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि केवल शिक्षक ही छात्र की अद्वितीय शक्ति को पहचान सकते हैं।
उन्होंने बताया था कि अपने टीचर्स की सलाह के बाद उन्होंने बीए ऑनर्स इन इकोनॉमिक्स में एडमिशन लिया था। 1952 में वे एक बार फिर टॉपर बने। डॉ. मनमोहन सिंह, उनके पूर्व प्राचार्य संतराम, प्रो. मस्त राम, प्रो. उन्होंने एसआर कालिया, डाॅ. जुगल किशोर त्रिखा और डॉ. सुदर्शन कपूर को अपना हीरो बताया।
दोस्तों डॉ. मनमोहन सिंह से जुड़ी बातें साझा की गईं
महाविद्यालय के 65 वर्ष पूरे होने पर डाॅ. 2018 में मनमोहन सिंह हिंदू कॉलेज पहुंचे। इसी कॉलेज में 1948 से 1952 तक लगभग 4 वर्ष तक शिक्षकों के व्याख्यान सुनकर उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया। इस बीच उनके कई सहपाठी भी कॉलेज पहुंचे थे, जिन्होंने 2018 में प्रिंसिपल रहे डॉ. पीके शर्मा को कई किस्से सुनाए। बहस में वे कम शब्दों में और सहजता से अपनी बात रखते थे। उनकी बात इतनी प्रभावशाली थी कि उन्हें प्रथम पुरस्कार देने से कोई नहीं रोक सका। डॉ। मनमोहन अपना अधिकतर समय लाइब्रेरी में बिताते थे।
पढ़ाई में शुरू से तेज होने के कारण कॉलेज आधी फीस लेता था
कॉलेज रिकार्ड के अनुसार डाॅ. मनमोहन का रोल नंबर 19 और सीरियल नंबर 1420 था। वह पढ़ाई में इतने तेज थे कि उनकी आधी फीस माफ कर दी गई थी। ग्रेजुएशन में उनके विषय अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान और पंजाबी थे। आगे चलकर वह विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और देश के प्रधानमंत्री बने।