अमेरिकी टेलीकम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा साइबर हमला हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी हैकिंग ग्रुप Salt Typhoon ने बड़ी संख्या में अमेरिकियों का मेटाडेटा चुरा लिया है। इस घटना के बाद अमेरिकी प्रशासन इस साइबर जासूसी के खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।
अमेरिकी टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों को बनाया निशाना
इस बुधवार अमेरिकी अधिकारियों ने Salt Typhoon के इस बड़े हैकिंग हमले का खुलासा किया। हालांकि, अधिकारियों ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इससे कितने अमेरिकी यूजर्स प्रभावित हुए हैं, लेकिन यह माना जा रहा है कि इस ग्रुप के पास बड़ी मात्रा में लोगों की व्यक्तिगत जानकारी मौजूद है।
Salt Typhoon ने यूजर्स की कॉल रिकॉर्ड से जुड़ा मेटाडेटा चोरी किया है। इसमें यह जानकारी शामिल है कि किसने, कब और कहां से किसे कॉल किया। हालांकि, कॉल के दौरान हुई बातचीत की डिटेल्स हैकर्स के हाथ नहीं लगी हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह के मेटाडेटा लीक से संवेदनशील जानकारी लीक होने का खतरा बढ़ जाता है।
पर्सनल और प्रोफेशनल डेटा पर मंडराया खतरा
इस डेटा चोरी से लोगों की व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी से जुड़ी डिटेल्स के लीक होने का खतरा बढ़ गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, Salt Typhoon ने अमेरिका की कम से कम 8 बड़ी टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों को निशाना बनाया है। इनमें Verizon, AT&T, T-Mobile और Lumen जैसे नामी प्लेयर्स शामिल हैं।
टेलीकॉम कंपनियों का जवाब
T-Mobile ने दावा किया है कि उनके किसी भी ग्राहक का डेटा लीक नहीं हुआ है। वहीं, अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि कुछ मामलों में कॉल मेटाडेटा की ठीक-ठाक मात्रा चोरी हुई है। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा, “हमें यकीन है कि बड़ी संख्या में अमेरिकियों का मेटाडेटा चोरी हुआ है।”
वैश्विक स्तर पर हमले और सुरक्षा पर खतरा
Salt Typhoon सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों को निशाना बना रहा है। चुराए गए मेटाडेटा का उपयोग निगरानी, ब्लैकमेल और किसी व्यक्ति विशेष को ट्रैक करने के लिए किया जा सकता है। यह अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।
अमेरिका की सख्त कार्रवाई की तैयारी
रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल, CISA और फेडरल कम्युनिकेशन्स कमीशन के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक हुई। इस बैठक में Salt Typhoon की गतिविधियों और उनके संभावित प्रभावों पर चर्चा की गई।
इस साइबर हमले ने वैश्विक टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम की कमजोरियों को उजागर किया है और यह दिखाया है कि राज्य प्रायोजित हैकिंग समूह किस हद तक संवेदनशील जानकारी चुराने में सक्षम हैं। अमेरिका जल्द ही इस खतरे का मुकाबला करने के लिए बड़े कदम उठा सकता है।