पंजाह, इस सीजन में 15 नवंबर तक पंजाब में पराली जलाने की कुल 7864 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। 15 नवंबर को कुल 238 मामले सामने आए, जिनमें से सबसे ज्यादा 119 मामले संगरूर में सामने आए। इसके अलावा मुक्तसर में 23, पटियाला में 21, बठिंडा और मनसा में 20-20 और फाजिल्का में 15 मामले सामने आए हैं।
इसकी तुलना में 2023 और 2022 में 15 नवंबर तक पराली जलाने की कुल घटनाएं क्रमश: 30661 और 45464 थीं। अगर सिर्फ 15 नवंबर की बात करें तो 2024 में जहां सिर्फ 238 मामले सामने आए थे, वहीं 2023 और 2022 में यह आंकड़ा क्रमश: 2544 और 141 था।
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं हुईं
2022: 49,922
2021: 71,304
2020: 76,590
2019: 55,210
2018: 50,590
संगरूर, मानसा, बठिंडा और अमृतसर जैसे जिलों में पराली जलाने के मामलों की संख्या हर साल बढ़ रही है। उत्तर भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण पराली जलाना है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है।
बुधवार से उत्तर भारत में जहरीली धुंध की चादर छाई हुई है, जिससे तापमान में गिरावट, दृश्यता कम हो गई है और वायु प्रदूषण के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई है। आज (15 नवंबर) सुबह 9 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 428 पर पहुंच गया, जो इस सीजन का सबसे खराब स्तर है। धुंध और जहरीले धुएं ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत पूरे सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों (आईजीपी) को अपनी चपेट में ले लिया है।