रोहतक। रोहतक में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान एमडीयू के गेट नंबर दो के बाहर जमा लगाने के मामले में बुधवार को अदालत फैसला आ गया। सीजेएम दीप्ति ने केस में गिरफ्तार पांच आरोपियों राहुल उर्फ दादू, धर्मेंद्र हुड्डा, जोगेंद्र उर्फ जोगा, जगपाल निजामपुर व नरेंद्र बडेसरा को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। अदालत में पुलिस पूरी तरह केस को साबित करने में नाकाम रही।
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान एमडीयू के गेट नंबर दो के सामने रोड जाम करने के मामले में FIR 17 फरवरी 2016 को दर्ज की गई थी और धारा 144 को 18-19 फरवरी को लागू किया गया था। इसमें पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई और पुलिस की ओर से आरोपी बनाए गए 5 लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया। यह फैसला बुधवार को सीजेएम दीप्ति की कोर्ट में सुनाया गया। इस केस में पुलिस अपने साक्ष्यों को साबित नहीं कर सकी। मामले में एडवोकेट अशोक कादयान, एडवोकेट जितेंद्र हुड्डा, एडवोकेट वजीर नरवाल ने युवकों की पैरवी की। इस आंदोलन का रोहतक में यह पहला केस है।
एडवोकेट अशोक कादयान ने बताया कि 17 फरवरी 2016 को एमडीयू के गेट नंबर दो के सामने रोड जाम करने को लेकर 100-150 युवाओं के खिलाफ पुलिस ने अर्बन एस्टेट थाने में केस दर्ज किया था। इसकी फोटोग्राफी और वीडियो भी बनाई। पुलिस ने आरोप लगाए थे कि कुछ लोगों ने बैरिकेड और पत्थर लगाकर रास्ते को रोका रोका था। तत्कालीन डीएसपी अमित भाटिया और डीएसपी डॉ. रविंद्र मौके पर पहुंचे। फिर भी जाम नहीं खोला गया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें राहुल दादू, जगपाल, एमडीयू छात्र नेता जोगेंद्र जोगा, छात्र नेता धर्मेंद्र हुड्डा और डॉ. नरेंद्र सिंह शामिल थे।
कोर्ट में परीक्षण के दौरान पुलिस के 9 गवाह आरोपियों को पहचान नहीं पाए जब कोर्ट में गवाही और दलीलों का दौर चला तो आरोपियों को पुलिस के 9 गवाह क्रास एग्जामिनेशन के दौरान पहचान नहीं पाए। वहीं छात्र नेता जोगेंद्र जोगा ने बताया कि मेरे ऊपर 2 केस बचे हैं। जबकि मंच से यूनियन के जाट नेता व अन्य प्रतिनिधि कहते रहे हैं कि हमारी मदद की गई और हमारे ऊपर के मुकदमे खारिज कर दिए, लेकिन ऐसा नहीं है। रोड जाम जैसे केस भी अब सात साल बाद निपटे हैं। अब भी न्यायपालिका पर भरोसा है।
राहुल दादू बताते हैं कि उन्हें वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु की कोठी जलने के मामले में पहले जोड़ा गया था। जैसे ही जेल से 26 जुलाई 2016 को कोठी के केस में जमानत मिली। पुलिस ने जेल से बाहर निकलने से पहले ही प्रोडक्शन वारंट लेकर फिर से गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले उनका एफआईआर में नाम नहीं था। राहुल बताते हैं कि अब उनके ऊपर 4 केस और बचे हैं। वहीं अब तक चार केस में बरी हो चुके हैं।
जब कोर्ट में गवाही और दलीलों का दौर चला तो आरोपियों को पुलिस के 9 गवाह क्रास एग्जामिनेशन के दौरान पहचान नहीं पाए। वहीं छात्र नेता जोगेंद्र जोगा ने बताया कि मेरे ऊपर 2 केस बचे हैं। जबकि मंच से यूनियन के जाट नेता व अन्य प्रतिनिधि कहते रहे हैं कि हमारी मदद की गई और हमारे ऊपर के मुकदमे खारिज कर दिए, लेकिन ऐसा नहीं है। रोड जाम जैसे केस भी अब सात साल बाद निपटे हैं। अब भी न्यायपालिका पर भरोसा है।