आजकल आर्थिक संकट के समय लोग अपनी जीवन बीमा पॉलिसी या तो सरेंडर कर रहे हैं या फिर थर्ड पार्टी को बेच रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि पॉलिसी को बेचना या सरेंडर करना ज्यादा फायदे का सौदा है? जीवन बीमा पॉलिसी एक ऐसा करार है, जो बीमा कंपनी और पॉलिसी होल्डर के बीच होता है, और इसमें पॉलिसी होल्डर का नॉमिनी संबंधी हो सकता है। हालांकि, कई बार पॉलिसी खरीदने वाले व्यक्ति को नॉमिनी के रूप में दर्ज किया जाता है, जिसे असाइनमेंट कहा जाता है।
पॉलिसी बेचना या सरेंडर करना?
आमतौर पर, पॉलिसी बेचना सरेंडर करने से बेहतर होता है क्योंकि इसमें अधिक पैसे मिल सकते हैं। जब पॉलिसी बेची जाती है, तो पॉलिसी पर परिवार का हक खत्म हो जाता है, और खरीदार आगे का प्रीमियम भरता है। बीमा कंपनी के नियमों के अनुसार, इस स्थिति में पॉलिसी से जुड़ी सारी सुविधाएं खरीदार को मिलती हैं।
अन्य विकल्प क्या हैं?
यदि पैसों की जरूरत हो, तो एंडोमेंट या यूलिप पॉलिसी होल्डर अपने बीमा कंपनी से लोन ले सकते हैं, जो सरेंडर वैल्यू का 80-90% तक हो सकता है। इस स्थिति में बीमा का फायदा जारी रहता है, और नॉमिनी के अधिकार भी सुरक्षित रहते हैं।
पॉलिसी बेचने की प्रक्रिया
पॉलिसी को थर्ड पार्टी को बेचने के लिए नॉमिनी बदलने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया में बीमा कंपनी मार्गदर्शन करती है, और पॉलिसी खरीदने वाली कंपनी द्वारा ओवरड्राफ्ट मिलने के बाद पॉलिसी गिरवी रखी जाती है।
क्या पॉलिसी बेचना कानूनी है?
एलआईसी पहले इसे अनधिकृत मानती थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे कानूनी रूप से मान्यता मिल गई। इस प्रकार, बीमा पॉलिसी को थर्ड पार्टी को बेचना अब वैध है।