महिला दिवस विशेष : यूपी सरकार की ‘शक्ति रसोई’ योजना नारी सशक्तिकरण की एक प्रेरक कहानी बनकर उभरी है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के जरिए संचालित यह पहल न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और सामाजिक पहचान को भी नई ऊंचाइयां दे रही है।
प्रदेश के अलग अलग जनपदों में शक्ति रसोई का संचालन करने वाली महिलाओं की कहानियां इस बात का जीता-जागता सबूत हैं कि मेहनत और मौके मिलने पर नारी शक्ति क्या कुछ हासिल कर सकती है।
निराशा से उम्मीद की राह तक : अनुश्री
प्रयागराज नगर निगम परिसर में शक्ति रसोई चलाने वाली अनुश्री की जिंदगी संघर्षों से भरी रही। कोरोना काल में पति की असमय मृत्यु ने उनके सामने अंधेरा ला दिया था। परिवार की जिम्मेदारी संभालने की चिंता के बीच एसएचजी से जुड़कर पापड़ और अचार बनाने का काम शुरू किया। फिर शक्ति रसोई ने उनकी जिंदगी बदल दी। आज वह हर माह 12,000 रुपये कमाती हैं और उनके बच्चे शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों में पढ़ रहे हैं। अनुश्री कहती हैं, “शक्ति रसोई ने मुझे सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि सम्मान और पहचान भी दी।”
अनिश्चितता से स्थिरता की ओर : श्वेता
वाराणसी नगर निगम परिसर में शक्ति रसोई संचालित करने वाली श्वेता पांडे के लिए यह योजना जीवन में स्थिरता का पर्याय बनी। पहले उनके परिवार में आय का कोई निश्चित स्रोत नहीं था। पति की कमाई से बस गुजारा चलता था। लेकिन शक्ति रसोई से जुड़ने के बाद हर माह 10,000 रुपये की निश्चित आय ने उनकी चिंताएं खत्म कर दीं। श्वेता बताती हैं, “अब मेरे पति भी अपना व्यवसाय शुरू कर चुके हैं। हमारी मेहनत से परिवार की स्थिति पहले से कहीं बेहतर है।”
हिचक से आत्मविश्वास का सफर : कोमल

अयोध्या में शक्ति रसोई चलाने वाली कोमल के लिए यह अनुभव जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाली कोमल को शुरू में घर से बाहर काम करने में हिचक थी। लेकिन एसएचजी और शक्ति रसोई ने उनके डर को दूर कर दिया। आज वह और उनकी टीम हर माह 10,000 से 12,000 रुपये की बचत कर रही हैं। कोमल कहती हैं, “इस कमाई से मैंने घर की मरम्मत कराई। आज मेरा घर और मेरा काम मेरे सम्मान का प्रतीक है।”
बेटी के सपनों को पंख : चंदा

सूडा भवन में शक्ति रसोई संचालित करने वाली चंदा की कहानी हर मां के लिए प्रेरणा है। पति की इलेक्ट्रिशियन की कमाई से घर तो चलता था, लेकिन बेटी को उच्च शिक्षा दिलाने का सपना अधूरा लगता था। शक्ति रसोई से जुड़ने के बाद चंदा को हर माह 12,000 से 13,000 रुपये की कमाई होने लगी। वह गर्व से कहती हैं, “यह कैंटीन पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा बिक्री वाली है। अब मैं अपनी बेटी की कोचिंग के लिए पैसे बचा रही हूं। उसका सपना मेरा सपना है, और यह पूरा होगा।”
नारी शक्ति को सम्मान
योगी सरकार की शक्ति रसोई योजना ने न सिर्फ महिलाओं को रोजगार दिया, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव की बयार लाई है। यह योजना न केवल स्वादिष्ट भोजन परोस रही है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भरता और सम्मान की नई राह भी दिखा रही है।