नई दिल्ली। आपने भगवान शिव के बारे में बहुत-सी कहानियां पढ़ी और सुनी होगी। आमतौर पर ज्यादातर कहानियों में भगवान शिव, पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी का उल्लेख होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव की पुत्रियां भी हैं। मनसा देवी के अलावा भगवान शिव की एक और पुत्री है, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं, भगवान शिव की पुत्री अशोक सुंदरी के बारे में।
महादेव की पुत्री अशोक सुंदरी के बारे में कहा जाता है कि सोमवार के दिन देवी अशोक सुंदरी की पूजा करने से न केवल धन लाभ के योग बनते हैं बल्कि बंद पड़े व्यापार भी फिर से शुरू हो जाते हैं, इसलिए अगर आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं चल रही है, तो आप भगवान शिव की पुत्री अशोक सुंदरी की आराधना जरूर करें। आइए, जानते हैं उनके बारे में खास बातें।
अशोक सुंदरी का जन्म
भगवान शिव और पार्वती जी की पुत्री अशोक सुंदरी की जानकारी कम लोगों को ही होगी। इनके बारे में पद्म पुराण में लिखा गया है। एक बार माता पार्वती द्वारा विश्व में सबसे सुंदर उद्यान दिखाने के आग्रह से भगवान शिव पार्वती को नंदनवन ले गए। वहां माता को कल्पवृक्ष से लगाव हो गया और उन्होंने उस वृक्ष को ले लिया। कल्पवृक्ष मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष है। माता पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने हेतु उस वृक्ष से यह वर मांगा कि उन्हें एक कन्या प्राप्त हो, तब कल्पवृक्ष द्वारा अशोक सुंदरी का जन्म हुआ। वह उस वृक्ष को लेकर कैलाश आ गईं। अ+शोक अर्थात सुख। माता पार्वती को सुखी करने हेतु ही उनका निर्माण हुआ था और वह अत्यंत सुंदर थीं, इसी कारण इन्हें सुंदरी कहा गया।
ऐसे हुआ अशोक सुंदरी का विवाह
अशोक सुंदरी भगवान शिव और माता पार्वती की बेटी हैं तथा भगवान कार्तिकेय से छोटी, किंतु गणेश जी से बड़ी हैं। माता पार्वती ने कन्या को वरदान दिया कि उनका विवाह देवराज इंद्र जितने शक्तिशाली युवक से होगा। एक बार अशोक सुंदरी अपनी दासियों के साथ नंदनवन में विचरण कर रही थीं, तभी वहां हुंड नामक राक्षस का प्रवेश हुआ, जो अशोक सुंदरी की सुंदरता से मोहित हो गया तथा उसने विवाह का प्रस्ताव किया, लेकिन अशोक सुंदरी ने अपने वरदान और विवाह के बारे में बताया कि उनका विवाह नहुष से ही होगा।
यह सुनकर राक्षस ने कहा कि वह नहुष को मार डालेगा। ऐसा सुनकर अशोक सुंदरी ने राक्षस को श्राप दिया कि जा दुष्ट तेरी मृत्यु नहुष के हाथों ही होगी। यह सुनकर वह राक्षस घबरा गया, तब उसने राजकुमार नहुष का अपहरण कर लिया लेकिन नहुष को राक्षस हुंड की एक दासी ने बचा लिया। महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में नहुष बड़ा हुआ तथा आगे जाकर उसने हुंड का वध किया। इसके बाद नहुष तथा अशोक सुंदरी का विवाह हुआ। विवाह के बाद अशोक सुंदरी ने ययाति जैसे वीर पुत्र को जन्म दिया।
सोमवार को अशोक सुंदरी की पूजा क्यों की जाती है
अशोक सुंदरी की पूजा भगवान शिव और पार्वती के साथ की जाती है। सोमवार का दिन महादेव का माना जाता है, इसलिए महादेव ने अपनी पुत्री को वरदान दिया था कि उनकी पूजा भी सोमवार को की जाएगी। अशोक सुंदरी की पूजा करने के लिए सबसे पहले गंगाजल और शुद्ध जल मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराएं। शिवलिंग में जिस स्थान से बहकर जल निकलता है, उस स्थान को अशोक सुंदरी का स्थान कहा जाता है।
इसके बाद अशोक शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाएं। अशोक सुंदरी वाले स्थान पर भी चंदन का तिलक लगांए। अब शिवलिंग पर बेलपत्र, फूलमाला अर्पित करें। इसके बाद अशोक सुंदरी का ध्यान करते हुए अपनी मनोकामना अशोक सुंदरी को बताएं और उन्हें पूरा करने की प्रार्थना करें।