International Gita Mahotsav : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि नायब सिंह सैनी जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति हैं, जिनका चरित्र बेदाग है, वे लगनशील हैं और ऊंची सोच के धनी व्यक्ति हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि नायब सिंह सैनी निश्चित रूप से नायाब काम करेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिरकत की और गीता ज्ञान संस्थानम् में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय भी उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनका और उनकी पत्नी का हरियाणा से बेहद गहरा नाता है। आज इस पवित्र भूमि, जहां भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को वह उपदेश दिया जो हम सबके लिए रास्ता दिखाने वाला उपदेश है, यहां आना उनके लिए एक ऐसा क्षण है जिसे वे सदैव स्मरण रखेंगे।
श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता की जन्मस्थली धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की भूमि से संदेश दिया कि हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। राष्ट्र प्रेम में कोई आकलन की बात नहीं है, यह शुद्ध और शत-प्रतिशत होना चाहिए।
विकसित भारत अब सपना नहीं, हमारा लक्ष्य है
उपराष्ट्रपति ने कहा कि गत दस वर्षों से अधिक समय से इतिहास को रचते हुए 6 दशक के पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का सारथी बनने का सौभाग्य मिला है। साथी और सारथी की भूमिका कितनी निर्णायक होती है वह भारत ने दस वर्ष में देखा है। अकल्पनीय आर्थिक प्रगति, अविश्वसनीय संस्थागत ढाँचा जो नहीं सोचा था वो दर्जा भारत को मिल रहा है। भारत की आवाज आज बुलंदी पर है। दुनिया की हम महाशक्ति तो हैं ही और अब हमने विकसित भारत बनने का अपना रास्ता चुन लिया है।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत अब सपना नहीं, हमारा लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें गीता से अर्जुन की एकाग्रता और दृढ़ता को अपनाना होगा। जिस प्रकार अर्जुन की नजर मछली पर नहीं थी, मछली की आंख पर भी नहीं थी, उसकी नजर सिर्फ अपने लक्ष्य पर थी, उसी प्रकार, हमें भी अपनी नजर सिर्फ लक्ष्य पर रखनी होगी, तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
गीता से निकले पांच आदर्श अभिशासन पंचामृत का रूप
उपराष्ट्रपति ने कहा कि गीता में जो पांच महत्वपूर्ण आदर्श दिखाए गए हैं, उन्हें वे अभिशासन पंचामृत के रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह सिद्धांत सामाजिक व्यवस्था के लिए, शांति के लिए, विकास के लिए, भाईचारा के लिए, उन्नति के लिए, खुश रहने के लिए बहुत जरूरी हैं।
जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज के दिन देश के सामने कुछ ऐसे संकट आ रहे हैं, जो हम भांप रहे हैं। कुछ ताकतें भारत को, हमारी अर्थव्यवस्था को चोटिल करना चाहती हैं, हमारी संस्थाओं को निष्क्रिय करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना होगा, हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है और हम भारत जैसे एक महान देश के नागरिक हैं।
उप राष्ट्रपति का धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र आना अध्यात्म में उनकी रुचि, श्रीमद्भगवद्गीता के प्रति आस्था और हरियाणा के प्रति उनके लगाव का प्रतीक है : मुख्यमंत्री
इस अवसर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ के आगमन पर प्रदेशवासियों की ओर से उनका स्वागत करते हुए कहा कि आपके आने से अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव की गरिमा कई गुणा बढ़ गई है और हमारा उत्साह भी दोगुना हुआ है। आज के समारोह में उपराष्ट्रपति का आना अध्यात्म में उनकी रुचि, धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र और श्रीमद्भगवद्गीता के प्रति आस्था और हरियाणा के प्रति उनके लगाव का प्रतीक है।
सैनी ने कहा कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन वर्ष 2016 से किया जा रहा है। दिव्य श्रीमद्भगवद्गीता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने की प्रेरणा हमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मिली। उन्होंने अमेरिका की अपनी पहली यात्रा के दौरान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को “दी गीता अर्कोडिंग टू गांधी” भेंट की। उसी समय हमने गीता के पावन संदेश को मानवमात्र तक पहुंचाने के लिए गीता जयंती समारोह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने की पहल की।
श्रीमद्भगवद्गीता केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक अद्भुत कला है : स्वामी ज्ञानानंद महाराज
इस मौके पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को निमित्त बनाकर समूची मानवता के लिए गीता का उपदेश दिया। गीता की उपदेश स्थली कुरुक्षेत्र की धरा पर गीता जयंती पर्व यद्यपि अनेक वर्षों से मनाया जा रहा है। लेकिन पिछले नौ वर्षों से गीता महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता केवल आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक अद्भुत कला है। आज विश्व भर में जो भी समस्याएं व्याप्त हैं, उनका समाधान निश्चित रूप से श्रीमद्भगवद्गीता में है।