रोहतक पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा कोर्स कोऑर्डिनेटर डाॅ. प्रशांत कुमार के दिशा-निर्देशन मेें विभिन्न विभागों के पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सकों के लिए आयोजित किए जा रहे बीएलएस और एएलएस कोर्स का मंगलवार को कुलपति डाॅ. अनिता सक्सेना ने दौरा किया और सभी पीजी छात्रों को संस्थान में ही यह कोर्स करने का अवसर मिलने पर बधाई दी।
इस अवसर पर उन्होंने चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्थान में इस कोर्स के आयोजन के लिए वें डीन एकेडमिक अफेयर्स डाॅ. धू्रव चौधरी, कोर्स कोऑर्डिनेटर डाॅ. प्रशांत कुमार को बधाई देती हैं जो आज यह अपना चतुर्थ बैच चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कोर्स के करने से सभी पीजी गंभीर मरीज की आपात स्थिति को पहचान कर उसकी जान बचाने में सक्षम होंगे। यह कोर्स होने से किसी भी विभाग का पीजी चिकित्सक मरीज के लक्षणों की पहचान करते हुए उसे आपात स्थिति से बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर सकेगा। डाॅ. अनिता सक्सेना ने कहा कि इस कोर्स से सभी पीजी छात्रों का हौसला बढ़ता है।
डॉ अनीता सक्सेना ने कहा कि संस्थान के पीजी बहुत भाग्यशाली हैं जो उन्हें अपने संस्थान के अंदर ही इस कोर्स को सीखने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान अपने विद्यार्थियों को उच्च गुणवता की शिक्षा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए पूर्ण रूप से प्रयासरत है। डीन एकेडमिक अफेयर्स डाॅ. धू्रव चौधरी ने बताया कि एनएमसी की नई गाइडलाइन के अनुसार पीजी की शिक्षा के दौरान बीएलएस, एएलएस कोर्स बहुत जरूरी है।
डाॅ. प्रशांत कुमार ने बताया कि इस कोर्स का नाम यूएचएसबीएसीएलएस कोर्स रखा गया है और इससे पूरे प्रदेश व आसपास के क्षेत्रों के पीजी छात्रों को काफी राहत मिलेगी और उन्हें महंगे संस्थानों से यह कोर्स करने के लिए मजबूर नहीं होना होगा। डॉ. प्रशांत ने बताया कि इस कोर्स को पूरा करने के बाद विश्वविद्यालय सभी पीजी छात्रों को एक सर्टिफिकेट प्रदान कर रही है जोकि पीजी पास करने के लिए जरूरी है और यह उनका चौथा बैच है।
डॉ प्रशांत ने बताया कि यह कोर्स करने के बाद हर विभाग का पीजी आपातकाल के समय रिससिटेशन में सक्षम होगा क्योंकि इस कोर्स में उन्हें अप्रतिक्रियाशील रोगी की पहचान, तुरंत मदद बुलाना, इमरजेंसी टीम एक्टिवेट करना, चेस्ट कंप्रेशन, कृत्रिम सांस और इलेक्ट्रिक शाॅक के माध्यम से दिल को पुनर्जीवित करने की कोशिश सिखाई जाती है वहीं इसके साथ ही ईसीजी में होने वाले बदलाव की पहचान, सांस की नली को सुरक्षित रखना, उचित समय पर उचित दवाई का प्रयोग भी शामिल है। इस अवसर पर चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर कुंदन मित्तल, डॉ सुजाता सेठी,डॉ जगजीत दलाल, डॉ राकेश मित्तल, डॉ किरनप्रीत कौर, डॉ अलका यादव ,डॉ ममता भारद्वाज, डॉ सुमेधा वशिष्ठ सहित कई चिकित्सक उपस्थित थे।