रोहतक। वीर चक्र विजेता एवं 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में गाजी अटैक के हीरो कमांडर इंद्र सिंह आज पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका रोहतक स्थित शीला बाईपास शमशान घाट में सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जिला प्रशासन की तरफ से उपमंडलाधीश राकेश कुमार सैनी ने अंतिम संस्कार में पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। उस समय काफी संख्या में पूर्व सैनिक भी अपने हीरो को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मौजूद रहे। अंतिम संस्कार के मौके पर हरियाणा पुलिस और नौसेना के जवानों ने कमांडर को सलामी दी।
जिला सोनीपत के आवली गांव में जन्मे और हाल में रोहतक की झंग कालोनी में रहने वाले कमांडर इंद्र सिंह का 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 4 अक्टूबर को ही उन्होंने अपना 100वां जन्मदिन मनाया था, लेकिन तबीयत खराब होने पर उन्हें रोहतक के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था और जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी को नष्ट किया था। इसके लिए उन्हें बाद में वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा भी उन्होंने भारतीय सेना में रहते हुए अनेक सराहनीय कार्य किए।
बताया गया कि पाकिस्तान की तरफ से गाजी पनडुब्बी को भारत के विक्रांत जहाज को नष्ट करने के लिए भेजा गया था जिसको नष्ट करने की कमान इंद्र सिंह और उसके सैनिकों को सौंप गई। इंद्र सिंह ने अपने सैनिकों के साथ विशाखापट्टनम में गाजी पनडुब्बी पर ताबड़तोड़ हमला कर उसे समुद्र में नष्ट कर दिया। इस कारनामे के पश्चात कमांडर इंद्र सिंह को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के हाथों वीर चक्र प्राप्त हुआ था। कमांडर को अंतिम विदाई देने वालों में जिला सैनिक व अर्धसैनिक कल्याण विभाग की कल्याण अधिकारी विंग कमांडर गोरिका सुहाग, कल्याण व्यवस्थापक जगबीर सिंह अहलावत एवं रविंद्र कुमार सहित भारी संख्या में जन समूह शामिल रहा।