चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा को बदलकर VB-G RAM G (विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन ग्रामीण) योजना लाने के फैसले पर गुरुवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने इसे गरीबों की आजीविका पर सीधा हमला करार देते हुए कहा कि बीजेपी सरकार महात्मा गांधी का नाम हटाने के साथ-साथ योजना की मूल भावना को ही खत्म करने पर तुली है।
मान ने घोषणा की कि राज्य सरकार जनवरी के दूसरे सप्ताह में पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएगी, जिसमें इस मुद्दे पर पंजाबियों की आवाज बुलंद की जाएगी। यह निर्णय आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद लिया गया है।
मुख्यमंत्री मान ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार की नीतियों पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा, “केंद्र की भाजपा सरकार रेलवे स्टेशनों और शहरों के नाम बदलने में व्यस्त है। मुझे डर है कि कहीं वे देश का नाम भी बदलकर दीनदयाल उपाध्याय नगर न कर दें।” मान ने ज़ोर देकर कहा कि बदलाव सिर्फ नाम बदलने से नहीं आता, बल्कि वास्तविक काम करने से आता है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी पत्रकार का नाम मेसी रख दिया जाए, तो क्या लोग उसे देखने चंडीगढ़ आ जाएंगे। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि योजना का नाम कुछ भी रखें, लेकिन मज़दूरों को समय पर मजदूरी मिलनी चाहिए और वह सही व्यक्ति के पास जानी चाहिए।
लोकसभा ने गुरुवार को लगभग 14 घंटे की बहस के बाद विपक्ष के तीव्र विरोध के बीच VB-G RAM G विधेयक को पारित कर दिया। इस नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को प्रतिवर्ष 100 दिन के बजाय 125 दिन का रोजगार गारंटी दिया जाएगा। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि यह बदलाव सिर्फ कागजों पर है। वास्तव में, योजना के वित्त पोषण मॉडल में बदलाव किया गया है, जहां पहले केंद्र सरकार 100 प्रतिशत खर्च वहन करती थी, अब राज्यों को 40 प्रतिशत हिस्सेदारी देनी होगी। यह 60:40 के अनुपात में केंद्र-राज्य फंड शेयरिंग मॉडल पंजाब जैसे आर्थिक रूप से तंग राज्यों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
जनता को गुमराह किया : नील गर्ग
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग ने इस बिल को “सुनियोजित धोखा” करार दिया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने लगातार खोखले नारों और राजनीतिक नाटकों के जरिए जनता को गुमराह किया है, जबकि समाज के सबसे गरीब वर्गों के लिए कल्याणकारी गारंटी को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया जा रहा है। गर्ग ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ नाम बदलने या महात्मा गांधी का नाम हटाने का मुद्दा नहीं है, बल्कि केंद्र ने वास्तव में मनरेगा की मौत की घंटी बजा दी है और मजदूर विरोधी एजेंडे को टीवी बहस और विचलन के पीछे छिपाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि अब ग्रामीण मजदूर रोजगार तक कैसे पहुंचेंगे।
- नए बिल में कई अहम बदलाव किए गए हैं जो चिंता का विषय बन गए हैं। पहला, मांग आधारित बजट आवंटन को बदलकर “नॉर्मेटिव फंडिंग” लाया गया है, जिसमें केंद्र सरकार पूर्व निर्धारित मानदंडों के आधार पर राज्यवार बजट तय करेगी। दूसरा, अनिवार्य 60 दिन की “नो वर्क पीरियड” लागू की गई है ताकि कृषि श्रम की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। तीसरा, केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में ही रोजगार उपलब्ध होगा, जिससे कानूनी गारंटी कमजोर हो जाएगी। चौथा, बेरोजगारी भत्ता 15 दिन के भीतर काम न मिलने पर अनिवार्य होगा, लेकिन इसका कार्यान्वयन संदिग्ध है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये बदलाव अधिकार आधारित योजना को विवेकाधीन योजना में बदल देंगे।
- पूरे पंजाब में विभिन्न संगठनों ने मनरेगा के प्रतिस्थापन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। बुधवार को पंजाब खेत मजदूर यूनियनों ने बठिंडा, मोगा, मुक्तसर, फरीदकोट और संगरूर में इसके विरोध में केंद्र सरकार के पुतले फूंके। पंजाब खेत मजदूर यूनियन के महासचिव लक्ष्मण सिंह सेवेवाल ने कहा कि योजना में बदलाव से ग्रामीण क्षेत्रों में सुनिश्चित रोजगार छिन जाएगा और इसे महात्मा गांधी की विरासत को मिटाने के लिए लाया जा रहा है। मजदूर नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर यह बिल लागू हुआ तो ग्रामीण गरीबों की आखिरी सुरक्षा रेखा भी खत्म हो जाएगी।
- विपक्षी दलों ने भी संसद में इस बिल का तीव्र विरोध किया। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह बिल सिर्फ मनरेगा का नाम बदलने के बारे में नहीं है, बल्कि बीजेपी-आरएसएस की मनरेगा को खत्म करने की साजिश है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि अगर कुछ राजनीतिक दल राष्ट्रीय आइकन का सम्मान करने में विफल रहते हैं, तो उनकी सरकार ऐसा करेगी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में प्रस्तावित बदलावों के माध्यम से गरीबों की आजीविका को कमजोर करने का आरोप लगाया।

