Friday, April 18, 2025
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आईटी-आईटीईएस सेक्टर में भी यूपी बन रहा देश का ‘मोस्ट फेवर्ड डेस्टिनेशन’

उत्तर प्रदेश का आईटी/आईटीईएस क्षेत्र राज्य के आर्थिक परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में तेजी से उभर रहा है। उत्तर प्रदेश का नोएडा न केवल देश के बड़े आईटी हब के रूप में स्थापित है बल्कि लखनऊ-कानपुर जैसे शहर भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में आईटी-आईटीईएस के क्षेत्र में कुल 27 हजार करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव स्वीकृत हो चुके हैं। इनमें से 5600 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारा जा चुका है, जबकि अन्य परियोजनाओं पर भी कार्य तेजी से जारी है।

प्रदेश की जीएसडीपी में वृद्धि का बन रहा जरिया

डिलॉयट द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में आईटी-आईटीईएस सेक्टर में प्रदेश के उल्लेखनीय योगदान का जिक्र है। रिपोर्ट के अनुसार, आईटी-आईटीईएस क्षेत्र वर्तमान में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 3.2% का योगदान देता है, और अनुमान है कि आने वाले वर्षों में यह 5% से अधिक की वृद्धि करेगा। राज्य के निर्यात को बढ़ाने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही जो कुल मिलाकर आईटी निर्यात ₹75,000 करोड़ से अधिक रहा है। आंकड़ों के अनुसार, अकेले वित्त वर्ष 2023-24 में, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) के माध्यम से निर्यात ने ₹43,000 करोड़ से अधिक का योगदान दिया, जो हाल के वर्षों में 16% की मजबूत वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है।

नोएडा ही नहीं, लखनऊ-कानपुर में भी हो रहा सेवाओं में विस्तार

पिछले कुछ वर्षों में नोएडा ने खुद को एक प्रमुख प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में तेजी से स्थापित किया है और देश के कई अन्य स्थापित आईटी गंतव्यों से आगे निकलने के लिए तैयार है। नोएडा में माइक्रोसॉफ्ट का अत्याधुनिक रिसर्च सेंटर इसका प्रमाण है। यहां 15 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा और 15 एकड़ में फैला यह कैंपस अमेरिका के बाहर माइक्रोसॉफ्ट का सबसे बड़ा कैम्पस है। वहीं, नैसकॉम ने लखनऊ और कानपुर को उभरते प्रौद्योगिकी केंद्रों के रूप में मान्यता दी है। लखनऊ में ही 258 एकड़ में फैली आईटी सिटी का विकास किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य आईटी पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक वॉक टू वर्क इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है। वहीं, आईबीएम भी लखनऊ में अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर लैब की स्थापना करने जा रहा है जो कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत सॉफ्टवेयर व आईटी सॉल्यूशंस के क्षेत्र में काम कर न केवल देश-प्रदेश बल्कि वैश्विक पटल पर भी ग्लोबल लीडर के तौर पर प्रोजेक्ट करेगा।

नीतिगत उपाय बदल रहे उत्तर प्रदेश की तस्वीर

राज्य में आईटी-आईटीईएस के क्षेत्र के विकास की गति को और तेज करने के लिए योगी सरकार ने कई लक्षित नीतिगत उपाय किए हैं जो अब अपना सकारात्मक प्रभाव दिखा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में आईटी सेक्टर को ‘उद्योग का दर्जा’ दिया गया है, जिससे आईटी इकाइयों को कम बिजली दरों और औद्योगिक भूमि बैंकों तक पहुंच का लाभ मिल रहा है। इतना ही नहीं, राज्य एक जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम का भी पोषण कर रहा है, जिसमें अब 14,000 से अधिक पंजीकृत स्टार्टअप शामिल हैं। योगी सरकार ने मेडटेक, ब्लॉकचेन, टेलीकॉम (5G/6G), AI, ड्रोन व एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में 70 इनक्यूबेटर व 7 उत्कृष्टता केंद्रों को मान्यता दी है। इन पहलों को लागू करने के साथ ही प्रतिभा विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो आगे चलकर प्रदेश की अग्रणी भूमिका का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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