Monday, December 23, 2024
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इस साल विजयादशमी पर बन रहे हैं दो शुभ योग

हिंदू धर्म में विजयादशमी का बहुत अधिक महत्व है इसे दशहरा भी कहा जाता है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। ये पर्व सच्चाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। इसी दिन भगवान श्री राम चंद्र लंका के राजा रावण का वध करके मां सीता को वापस लेकर लौटे थे।

जानें विजयादशमी की तिथि 

इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 44 मिनट से शुरु होकर 24 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। ऐसे में विजयादशमी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

इस दिन बन रहे हैं दो शुभ योग 

इस साल विजयादशमी के दिन एक नहीं बल्कि दो शुभ योग बन रहे हैं। 24 अक्टूबर का सुबह 6 बजकर 27 मिनट से दोपहर 3 बजकर 38 मिनट तक रवि योग है। शाम 6 बजकर 38 मिनट से 25 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 28 मिनट तक भी रवि योग रहेगा। दशहरा वृद्धि योग 24 अक्टूबर को 3 बजकर 40 मिनट से शुरु होकर पूरी रात रहेगा।

जानें पूजा विधि 

दोपहर के समय पूजा करना उत्तम रहता है। इस दिन घर के ईशान कोण में 8 कमल की पंखुड़ियों से अष्टदल चक्र बनाया जाता है। इसके बाद अष्टदल के बीच में अपराजिताय नमः: मंत्र का जप करना चाहिए और मां दुर्गा के साथ भगवान राम की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद माता जया को राइट और विजया को लेफ्ट तरफ स्थापित करें। अब माता को रोली, अक्षत, फूल आदि पूजा की सामग्री अर्पित करें और भोग लगाएं। माता की आरती भी करें और जयकारे भी लगाएं। कुछ जगहों पर गाय के गोबर से 9 गोले व 2 कटोरियां बनाई जाती हैं। इन कटोरियों में से एक में सिक्के और दूसरी रोली, चावल, जौ व फल रख दें। इसके बाद प्रतिमा पर जौ, केले, मूली और गुड़ आदि अर्पित कर दें। अगर बहीखाते या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो पूजा स्थल पर इन चीजों को भी रख दें और इन पर भी रोली और अक्षत लगाएं। इसके बाद यथाशक्ति अनुसार दान-दक्षिणा दें और गरीबों व अवश्य को भोजन अवश्य कराएं। शाम के समय रावण दहन हो जाए तो शमी की पत्तियां अपने परिजनों को दे दें फ‍िर सभी घर के बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

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