Sunday, September 29, 2024
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कांग्रेस को इस बार भागलपुर से ‘नेह’ की उम्मीद

लोकसभा से वनवास खत्म होने की आशा में पथरा गई हैं आंखें

भागलपुरः सिल्क नगरी भागलपुर के कांग्रेसियों की आंखों में इस बार लोकसभा चुनाव में जीत के सपने तैर रहे हैं। कांग्रेसियों को वोटरों से ‘नेह’ की उम्मीद बंधी है। बालीवुड में अपनी अदाओं के जलवे बिखेर रही नेहा शर्मा के जादू पर कांग्रेसियों की सारी आशाएं टिकी हैं। ज्यों ज्यों 4 जून की तारीख नजदीक आ रही है कांग्रेसियों के दिलों की धड़कनें बढ़ रही है।

ओटीटी पर अपनी ‘इल्लीगल’ सीरीज को लेकर अभी खासी चर्चित नेहा शर्मा भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार अजीत शर्मा की बेटी है। अजीत शर्मा तीन बार से भागलपुर से कांग्रेस के ही विधायक हैं लेकिन लोकसभा के मामले में 40 साल पहले हुए वीभत्स दंगे के बाद से कांग्रेस वनवास ही झेल रही है।

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कांग्रेस के अजीत शर्मा एनडीए कैंडीडेट को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बार अजीत शर्मा को अपनी जाति भूमिहार का एकमुश्त वोट मिल सकता है। वहां के मुसलमान भी जद यू से अपना पाला बदलेंगे। लालू यादव का भी वहां अपना एक मुस्लिम -गैर मुस्लिम वोट बैंक है जो अजीत शर्मा के साथ जाएगा। जीत की अच्छी सूरत दिख रही है। अजीत शर्मा के सामने एनडीए की तरफ से जदयू के सीटिंग एमपी अजय मंडल हैं ।

भागलपुर में मोदी फैक्टर नहीं बल्कि नितीश फैक्टर चलता रहा है। नितीश की घटती साख व लगातर गिरते सेहत की वजह से इस बार भागलपुर में नेहा फैक्टर की ज्यादा चर्चा है। 2014 के चुनाव में जब मोदी लहर जनता के सिर चढ़ कर बोल रही थी तो भी वहां से भाजपा के सीटिंग एमपी एवं अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र के कैबिनेट मिनिस्टर शहनवाज हुसैन चुनाव हार गए थे। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि नितीश ने मोदी से नाता तोड़ लिया था। 2014 में राजद के बूलो मंडल ने यहां जीत हासिल की थी। एक मुख्यमंत्री के रूप में भागलपुर के दंगे को लेकर उठाए गए नितीश के कदमों की वजह से वहां के मुसलमान जद यू  के वोट बैंक में तब्दील हो गए थे। माना जा रहा है कि अब पलटने के बाद मुसलमानों का नितीश से मोहभंग होने लगा है।

नेहा फैक्टर अगर इस बार नितीश और मोदी दोनों फैक्टर को मात दे पाया तो भागलपुर के लिए यह एक टर्निंग प्वाइंट साबित होगा। वह भागलपुर में ‘मोहब्बत की दुकान’ खुलवाने में सफल रही तो इसकी चर्चा दूर तलक जाएगी। कांग्रेस के लिए भागलपुर की जीत लोकसभा मामले में 40 साल बाद वनवास के खत्म होने जैसी ही होगी। सिल्क नगरी नेहा शर्मा के डैडी के लिए रेड कार्पेट बिछाए इसके लिए उसने इस बार काफी मेहनत की है। नेहा शर्मा ने अपने पिता के लिए भागलपुर में रोड शो कर खासी समां बांधी। बालीवुड के ग्लैमर का जादू चलने की खबर से घबाराए नितीश ने पहली बार भागलपुर में रोड शो किया। इसके बाद भी कमजोरी का एहसास हुआ तो 2014 में राजद से लोकसभा का चुनाव जीते बूलो मंडल को जद यू में शामिल करवाया। बूलो मंडल का गंगा के किनारे बसी एक जाति पर अच्छी पकड़ है।

फिलहाल बेहद लोकप्रिय सीरीज ‘इल्लीगल’  में नेहा शर्मा ने नामचीन वकील बनने का सपने संजोने वाली एक लड़की का किरदार निभाया है। इस फिल्मी सपने के साथ साथ उसकी आंखों में भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में अपने पिता की हकीकत की जीत के सपने भी तैर रहे होंगे। ओटीटी प्लेटफार्म पर नेहा का अभिनय खुलकर सामने आया है। उसने इसमें अपनी प्रतिभा की बखूबी छाप छोड़ी है। माना जा रहा है कि एक लंबे अरसे से बालीवुड में अपने अभिनय की छाप छोड़ने की जद्दोजहद के बाद इल्लीगल भी उसके फिल्मी कैरियर के लिए एक टर्निंग प्लाइंट साबित हुआ है। पिता की जीत उसकी बालीवुड सफलता पर ‘चेरी आन दी केक’ की तरह होगी।

भागलपुर से लोकसभा चुनाव के लिए सबसे पहले नेहा शर्मा के नाम की ही चर्चा थी। कहते हैं नेहा ने बालीवुड में अपने बिग टिकट असाइनमेंट का हवाला देते हुए मना कर दिया। प्रेक्षकों का मानना है कि नेहा खड़ी होती तो जीत तय हो जाती। लेकिन कहते हैं पिता विधायक और बेटी सांसद- नेहा को पिता की शान में यह गुस्ताखी गंवारा नहीं हुआ। अब उड़ती उड़ती खबर आ रही है कि पिता अगर जीत गए तो पिता की विधायकी की सीट पर वह अपना राजनीतिक भाग्य आजमाएगी।

दंगों एवं मंडल की राजनीति ने कांग्रेस के पांव ऐसे उखाड़े कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कभी सिर उठा ही नहीं पाया। लेकिन नेहा की वजह से इस बार कांग्रेस के राख के ढेर से उठ खड़े होने की उम्मीद दिख रही है।

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