भारत सरकार की ओर पहली बार देश के अस्पताल के इंटेंसिव केयर यूनिट (Intensive Care Unit) यानि की ICU को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की गई है। देश के 24 टॉप पैनल के डॉक्टर्स की यूनिट ने पैनल ने तैयार किया है। इसमें कई मेडिकल कंडीशंस बताए गए हैं। इन कंडीशंस के अनुसार, हल्की बेहोशी की हालत जिसमें रेस्पिरेटरी सपोर्ट की जरूरत पड़े, इसके अलावा बहुत ज्यादा बीमारी की हालत जिसमें इंटेंसिव मॉनिटरिंग की जरूरत पड़े, सर्जरी के बाद जब तबीयत बिगड़ने का डर हो, और वो मरीज जो मेजर इंट्राऑपरेटिव कॉम्पलिकेशंस से गुजर रहे हों तो मरीज को आईसीयू में एडमिट कराने की जरुरत होती है।
ICU में नए नियम को लेकर क्या-क्या हुए बदलाव
डॉ. आरके मणि (Dr. R K Mani) ने ICU को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की है। डॉ मणि ने कहा कि आईसीयू एक लिमिटेड रिसोर्स है, हमारी कोशिश है कि इसका न्यायपूर्ण इस्तेमाल हो सके जिससे उन लोगों को तरजीह दी जा सके जिसको सबसे ज्यादा जरूरत हो। वहीं इंडियन कॉलेज ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (Indian College of Critical Care Medicine) के सचिव डॉ. सुमित रे (Dr. Sumit Ray) ने कहा कि ये सिर्फ सलाह है, बंदिशें नहीं।
देश में आईसीयू बेड की है बड़ी किल्लत
देश में केवल 1 लाख आईसीयू बेड उपलब्ध है जो अधिकांश तौर पर देश के बड़े प्राइवेट अस्पातल में मौजूद हैं। जाने-माने वकील और पब्लिक हेल्थ एक्टिविस्ट अशोक अग्रवाल ने कहा कि गरीब जो प्राइवेट अस्पताल का खर्च नहीं उठा सकते, उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है, कई बार वो आईसीयू बेड पाने में नाकाम रहते हैं। आईसीयू में मरीजों को तरजीह देने का विचार उनके मेडिकल कंडीशंस पर निर्भर किया जाना चाहिए। सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए जिससे इतनी सुविधा बढ़े कि सभी को क्रिटिकल केयर मिल सके।
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