Tuesday, September 17, 2024
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छतीस साल पुराना किस्सा -जब यह लेखक मोरनी में देवीलाल का इंटरव्यू लेने गया।

पवन कुमार बंसल : जब ओमप्रकाश चौटाला ने कहा की में हिन्दू धर्म के मुताबिक बूढ़े (देवीलाल ) बाप की सेवा कर रहा हूँ। पिछले दो लेख में मेने बताया की किस तरह मोरनी में प्रभावशाली लोगो ने वन विभाग की जमींन पर अवैध कब्जे कर रखे है। आज चर्चा कर रहा हूँ छतीस साल पुराना किस्सा जब में चंडीगढ़ में जनसत्ता अख़बार का रिपोर्टर था। देवीलाल
मुख्यमंत्री बन गए और मोरनी हिल्स में परिवार के साथ आराम कर रहे थे। अख़बार ने मेरी ड्यूटी देवीलाल का इंटरव्यू करने की लगा दी। अब मेरे लिए यह चुनौती वाला काम था क्योंकि देवीलाल ने किसी से भी और खासतौर पर पत्रकारों से मिलने से मना कर रखा था।

में जींद से सीधा चंडीगढ़ नियुक्त हुआ था। में टैक्सी लेकर मोरनी पंहुचा तो वहा आधा किलोमीटर पहले नाका लगा था जहा पर ओमप्रकाश कादियान डी एस पी की ड्यूटी थी और उन्होंने मेरे टैक्सी को आगे जाने से रोक दिया। मेने उन्हें अपनी नौकरी की दुहाई दे आगे जाने का आग्रह किया तो उन होने जाने दिया।

वहा मिले ओमप्रकाश चौटाला और उनके साथ बैठे थे आर एस चौधरी और प्रोफेसर तेजा सिंह।
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मेने देखा की वहा आई ए एस और आई पी एस अफसर चौटाला को सलाम कर रहे थे।
मेने चौटाला से कहा की में आपका इंटरव्यू कर लेता हूँ। मेने कहा की आप सरकार में कुछ भी नहीं लेकिन फिर भी अफसर आप को सलाम कर रहे है। तब चौटाला ने मुझे कहा की में हिन्दू धर्म में अपने बूढ़े पिता की मदद कर रहा हूँ। फिर कहा की मेरे विरोधी मुझे तलवार से काटना चाहते है लेकिन वे मेरे से ज्यादा काम कर लम्बी लकीर खींचे।
मेरी एक स्टोरी बन गयी थी और चौटाला साहब भी प्रभावित हो गए। सो मेने मोके का फायदा उठाते हुए देवीलाल से दो मिनट बात करवाने का आग्रह किया और यह आश्वाशन दिया की कोई सवाल नहीं करूँगा।
अब मुलाकात देवीलाल से।
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देवीलाल अपने पुरे परिवार जिसमे उनके बागी बेटे प्रताप चौटाला का बेटा रवि चौटाला भी था के साथ बहुत खुश थे।
एक चतुर पत्रकार की तरह मेने पहला सवाल पूछा की इतने दिनों बाद आप परिवार में रहकर कैसा महसूस कर रहे हो।
देवीलाल मेरी मंशा समझ कर वोले वो तो ठीक है। तेरे से पॉलिटिक्स की बात भी करूंगा। फिर एक स्टोरी और बनी और जब दो स्टोरी लेकर दफ्तर गया तो हमारे संपादक जितेंद्र बजाज बहुत खुश हुए।
दुमछल्ला।
आज रवि चौटाला का धर्मेंद्र कंवारी से इंटरव्यू का वीडियो सुना तो पता लगा की रवि चौटाला ने तब जनसत्ता में छपी मेरे खबर के साथ फोटो के शीर्षक की पुरे परिवार के साथ बागी बेटे प्रताप का बेटा रवि भी शामिल पर एतराज किया तो सारा किस्सा याद आया।

फोटो हमारे फोटोग्राफर शर्मा जी ने खींची थी और शीर्षक मैंने दिया था।

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