हरियाणा सरकार ने राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति में एकरूपता लाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक राज्य सार्वजनिक उपक्रम अपनी वित्तीय स्थिति का वार्षिक मूल्यांकन करने के पश्चात संबंधित उपक्रम के निदेशक मंडल तथा सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति से उस वित्त वर्ष के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दी जाने वाली चिकित्सा प्रतिपूर्ति की राशि निर्धारित करेगा। इस खर्च का वहन संबंधित उपक्रम द्वारा किया जाएगा।
निर्देशों में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह वित्तीय स्वायत्तता केवल सेवानिवृत्त कर्मचारियों की चिकित्सा प्रतिपूर्ति सुविधा तक ही सीमित रहेगी। अन्य सभी वित्तीय मामलों में वित्त विभाग द्वारा 19 सितंबर, 2024 को जारी पत्र के निर्देशों का अक्षरशः पालन किया जाएगा।
राज्य सरकार के संज्ञान में आया कि विभिन्न राज्य सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) अपने स्तर पर भिन्न-भिन्न प्रावधानों के माध्यम से उन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति सुविधा प्रदान कर रहे हैं जो कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) अथवा अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) के अंतर्गत आते हैं। इन भिन्न प्रावधानों के कारण विभिन्न संस्थाओं में असमानता उत्पन्न हो रही थी।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, जिनके पास वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का दायित्व भी है, द्वारा इस सम्बन्ध में राज्य के सभी बोर्डों, निगमों, कंपनियों, सहकारी संस्थाओं एवं स्वायत्त निकायों को पत्र जारी किया गया है।

