.नई दिल्लीः यह बात किसी को हजम नहीं हो रही है कि ‘राजा से भी अधिक वफादार’ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है। लेकिन लक्षण देख कर कुछ अंदाजा लगाना हो तो राज्य सभा में कल घटी एक घटना, जो धनखड़ के इस्तीफे की तरह ही अभूतपूर्व है, ने कुछ संकेत दिया लगता है। अगर वह संकेत सच साबित होता है तो बेशक कहा जा सकता है कि श्री धनखड़ ने स्वास्थ्य कारण से इस्तीफा दिया है। धनखड़ ने राष्ट्रपति को भेजे अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य को कारण बताया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ( फिलहाल भाजपा के निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष भी) जेपी नड्डा ने कल राज्यसभा में वहीं भूमिका निभाई जो आसन पर बैठे जगदीप धनखड़ को निभाना था। अगर धनखड़ ने जेपी नड्डा की वजह से इस्तीफा दिया है तो फिर स्वास्थ्य ही कारण हुआ न क्योंकि जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्री हैं। नड्डा ने राज्यसभा में जो कहा वह सबको सन्न करने वाला था। उन्होंने राज्यसभा के सभापति के अधिकार को मानो हाइजैक सा कर लिया। उन्होंने कहा कि खड़गे जी जो कह रहे हैं वह रिकार्ड में कतई नहीं जाएगा। रिकार्ड में वही जाएगा जो मैं कह रहा हूं। कहीं नड्डा से बेइरादा वही काम तो नहीं हो गया जो उन्हें करना है।
कहने का मतलब कहीं नड्डा ही उपराष्ट्रपति तो नहीं बनने जा रहे हैं!!!!
अभी सुनने में भले ही यह पतंगबाजी लगे लेकिन कल अगर जेपी नड्डा जी को इस पद पर आसीन करने की योजना खुलासा सामने आए तो कोई आश्चर्य नहीं। असल में यहां ‘दायां हाथ क्या करेगा, बायां हाथ तक उससे अनभिज्ञ है’ वाली स्थिति है। इससे कुछ कुछ पर्दा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे से 2-3 दिन बाद लौटने के बाद ही उठना शुरू होगा। तब तक अटकलों के सिवा कोई चारा नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमाम अटकलों को गलत साबित करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अब तक ऐसा हर मामले में किया है। पीएम के किसी भी संभावित कदम को भांपना अभी तक पत्रकारों के बूते की बाहर की बात रही है। माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी इस मामले में भी देश को, राजनीतिक प्रेक्षकों को और पत्रकार बिरादरी को खासा चौकाएंगे। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि आरएसएस को लेकर अपने एक बयान के काऱण नड्डा भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान यह कह कर कि अब भाजपा अपने बूते पर चुनाव जीतने की हैसियत में है, पार्टी को आरएसएस के मदद की जरुरत नहीं है, संघ के कई लोगों को नाराज कर दिया था। कहीं उपराष्ट्रपति बना कर नड्डा को एक सुरक्षित आश्रय देने की पीएम की रणनीति का हिस्सा तो नहीं है धनखड़ का इस्तीफा।
राजनीति पर निगाह रखने वाला हर शख्स अभी अंधेरे को चाकू घोंपने जैसी स्थिति में है। जैसा निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा है- इतनी आसानी से इस्तीफा नहीं हुआ, खेल बहुत गहरा है, बहुत बड़ा गेम है – हर किसी को इसके पीछे किसी खास रहस्य का आभास हो रहा है। अटकलों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार एवं जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिंहा का नाम भी आ रहा है।
प्रेक्षकों के एक हलके में यह भी माना जा रहा है कि इन दोनों में से किसी एक के लिए जगह खाली कराया गया है। अटकलों का बाजार इतना गर्म है तो इस पद के लिए उद्धव ठाकरे का नाम भी बुरा नहीं है। एक प्रेक्षक ने इस अटकलबाजी के लिए अभी हाल में उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के बीत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस मुलाकात एवं भाजपा व उद्धव ठाकरे के बीच लगातार घटती दूरी की तरफ इशारा किया।