Sunday, February 2, 2025
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स्वच्छता सर्वेक्षण : रोहतक शहर को नंबर 1 स्थान पर रखने की बड़ी चुनौती; अनेक स्थानों पर लगे गंदगी के ढेर

शांति प्रकाश जैन.रोहतक : स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 में शहर को अच्छा दिखाने में नगर निगम रोहतक का प्रबंधन एडी चोटी का जोर लगा रहा है। लेकिन शहर का दौरा करने के बाद नगर की दावेदारी के खोखले दावे नजर आ रहे हैं। शहर में ऐसे अनेक स्थान है जो स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान को अच्छे अंक दिलाने में लगे हुए है। इनमे पुराना आईटीआई मैदान, पुरानी सब्जी मंडी मैदान, पुराना बस स्टैंड परिसर, पुराना राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अप्पू घर के पास खाली पड़ा मैदान ऐसे स्थान है जो रोहतक को सर्वेक्षण में पहले 100 नगरों में आने से रोक रहे है।

यही नहीं ऐसे अनेक स्थान है जहां गंदगी के ढेर नजर आएंगे इनमे गोहाना रोड पर कृपाल आश्रम से टीबी हॉस्पिटल तक गुरुद्वारा बंगला साहिब का पश्चिमी क्षेत्र, नए बस स्टैंड से राजीव गांधी स्टेडियम तक, गौड कॉलेज मोड, गउकरण पार्क की नेहरू कॉलोनी वाली साइड, राज टाकिज, शीला टाकिज, सुभाष टाकिज आदि हैं जहां सफाई व्यवस्था न के बराबर है।

यही नहीं शहर में बेसहारा अवारा पशु भी शहर की सुंदरता और सफाई अभियान को पलीता लगाने में पीछे नहीं है।
नगर निगम की तरफ से शहर को स्वच्छ बनाने के लिए लगभग 680 कच्चे पक्के कर्मचारी नियुक्त हैं। वहीं 165 वाहन डोर टू डोर कूडा उठाने में तैनात हैं। साथ ही 40 से अधिक ट्रैक्टर-ट्राली में 150 हाथ रिक्शा कूड़ा उठाने के अभियान में लगाए गए है।

शहर में से लगभग 145 टन कूड़ा-करकट बाहर वेस्ट प्लांट में आता है। फिर भी शहर को प्रदेश में शहर का 1 नंबर स्थान पर लाने की बहुत बड़ी चुनौती उभरकर सामने आ रही है। रोहतक शहर में राष्ट्रीय स्तर पर 38वां स्थान प्राप्त किया था जो पिछड़ कर 109वें स्थान पर आ गया है।

इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में पहली बार माइनस मार्किंग भी रखी गई है जो कि निगम प्रशासन के लिए एक चुनौती उभरकर सामने आ रही है क्योंकि पोर्टल पर अपलोड किए गए दस्तावेज जांच के दौरान गलत पाए गए तो उसके नंबर कटेंगे। निगम प्रबंधन स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छा अंक पाने के लिए कई राउंड की मीटिंग आयोजित कर चुका है। जिसमें अधिकारीगण कर्मचारियों से एकजुट होकर स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान को सफल करने का आह्वान कर चुके हैं।

यहीं नहीं शहर में अनेक ऐसे स्थान है जहां समय-समय पर सीवरों से गंदा पानी ओवरफ्लो होकर गंदगी फैलाता है। शहर में कई स्थानों पर सीवरों के ढक्कन भी टूटे पड़े हैं जो गंदगी को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। नगर निगम के अंतर्गत जो ग्रामीण क्षेत्र आते है उनमें तो सफाई व्यवस्था नाम मात्र की ही है।

स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान में जनता का फीडबैक एक प्रमुख कारक होगा। क्योंकि सर्वेक्षण टीम जनता से शहर की स्वच्छता सफाई के बारे में फीडबैक लेगी जो कि आधे से ज्यादा हो सकता है। स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान के तहत गीला और सूखा कूड़ा उठाने के लिए अलग-अलग प्रबंधन होना चाहिए लेकिन देखनें में आया है कि नगर में गीला और सूखा कूडा एक साथ उठाया जाता है। साथ ही शहर में कूडा उठाने के लिए बड़े-बड़े डस्टबिन का भी अभाव देखने को मिला जो कि स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान के लिए माइनस प्वांट हो सकता है।

शहर में अनेक खाली प्लॉट और मकान है जहां लोग कूड़ा करकट डालते रहते है और वहां से कूड़ा करकट उठाने का कोई उचित प्रबंध नहीं हो पाता है। नगर निगम रोहतक को अपना पिछला स्थान सुनिश्चित रखने में एक बड़ी चुनौती होगी इसके लिए नगर निगम प्रबंधन और कर्मचारियों की सकारात्मक सोच तो आवश्यक है ही जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी।

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