सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संवैधानिक बेंच ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया। सरकार सभी निजी संपत्तियों का इस्तेमाल सरकार नहीं कर सकती, जब तक कि सार्वजनिक हित ना जुड़ रहे हों।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी निजी संपत्तियों को सार्वजनिक हित वाली घोषित नहीं किया जा सकता। इसलिए सरकार हर संपत्ति का अधिग्रहण नहीं कर सकती। अदालत ने इसके साथ ही 1978 के फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि सामुदायिक हित के लिए राज्य किसी भी निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकता है।
बता दें कि 9 जजों की बेंच में से 7 ने बहुमत से यह फैसला दिया । चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा इस बेंच में जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस एससी शर्मा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की राय थी कि हर संपत्ति का अधिग्रहण नहीं हो सकता। वहीं बेंच में शामिल जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय अलग थी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, सभी निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन नहीं। कुछ निजी संपत्ति समुदाय के भौतिक संसाधन हो सकती हैं।