Tuesday, September 30, 2025
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HSVP की लापरवाही पर राज्य सेवा आयोग सख्त, शिकायतकर्ता को मुआवजा और ब्याज वापसी के आदेश

हरियाणा राज्य सेवा आयोग ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए संबंधित अधिकारियों को चेतावनी और शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है।

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली पर मामले के गलत निपटारे और शिकायतकर्ता के बार-बार के प्रतिनिधित्व को नज़रअंदाज़ करना एचएसवीपी की शिकायत निवारण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आयोग ने संबंधित डीईओ को मामले को गलत तरीके से अस्वीकृत करने और ईओ को शिकायतकर्ता की अनदेखी करने के लिए चेतावनी दी है तथा आगाह किया है कि भविष्य में किसी भी अधिसूचित सेवा में ऐसी चूक पाई जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

प्रवक्ता ने यह भी बताया की यह मामला एक आवंटी की भुगतान राशि की पुष्टि से जुड़ा था। आवंटी द्वारा वर्ष 2019 में भुगतान के बाद भी सत्यापन नहीं हुआ और शिकायतकर्ता को छह साल तक दर-दर भटकना पड़ा। आयोग ने अपने 18 जून 2025 के आदेश में ही उल्लेख किया था कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने जून 2017 के बाद मूल भुगतान रसीदें मांगने की प्रथा समाप्त कर दी थी और ऑनलाइन रिकॉर्ड पर भरोसा करना शुरू किया था।

आयोग ने कहा कि इतना सरल सत्यापन कार्य छह साल तक लंबित रहना और आयोग के हस्तक्षेप के बाद ही पूरा होना गहरी प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है। आयोग ने इस मामले में टिप्पणी की कि “इसरो को चंद्रयान अभियानों में 3.8 लाख किलोमीटर दूर चंद्रमा तक पहुँचने में भी इससे कम समय लगा, परंतु एचएसवीपी को इतनी साधारण प्रक्रिया पूरी करने में छह वर्ष लग गए।” इस लापरवाही के कारण शिकायतकर्ता को फलस्वरूप, शिकायतकर्ता न तो कब्ज़ा देने का प्रस्ताव प्राप्त कर सका और न ही अपनी रजिस्ट्री (कन्वेयंस डीड) करवा सका।

आयोग ने हरियाणा राइट टू सर्विस एक्ट, 2014 के तहत शिकायतकर्ता को 5 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण यह राशि अपने कोष से अदा करेगा और बाद में जांच के बाद दोषी अधिकारियों से वसूली कर सकेगा।

इसके अलावाशिकायतकर्ता ने 28 अगस्त 2025 को आयोग को सूचित किया था कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने किस्त राशि पर विलंबित ब्याज वसूला हैजबकि भुगतान समय पर किया गया था। आयोग ने इस पर ईओफरीदाबाद को उक्त किस्त पर वसूला गया विलंबित ब्याज वापस करने और 3 अक्टूबर 2025 तक आयोग को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

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