Wednesday, December 24, 2025
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सिरसा के रोड़ी से शुरू हुई ‘हिंद की चादर’ गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष की पवित्र यात्रा

‘हिंद की चादर’  गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के मौके पर पवित्र यात्रा का शुभारंभ शनिवार को सिरसा के रोड़ी की पावन भूमि से किया गया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मौजूदगी में गुरुसर रोड़ी साहिब गुरुद्वारा में अरदास का कार्यक्रम हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के समक्ष अरदास करते हुए प्रदेश की सुख—समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी केवल सिखों अथवा भारत के ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के मानवाधिकारों के प्रथम महानायक हैं। यह यात्रा गुरु जी के तप, त्याग, विचार और धर्म की रक्षा के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान को जन-जन तक पहुंचाने का एक व्यापक महाअभियान है।

उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष के उपलक्ष्य में प्रदेश में चार पवित्र यात्राएं निकाली जाएंगी। ये यात्राएं पूरे हरियाणा को कवर करेंगी और 24 नवंबर को कुरुक्षेत्र में इनका समापन होगा। उसी दिन वहां सर्व धर्म सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा। अगले दिन 25 नवंबर को  गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर कुरुक्षेत्र में महासमागम का आयोजन होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का हरियाणा की पावन धरा से का गहरा सम्बन्ध रहा है। 1665 में सिख धर्म के मुख्यालय को धमतान, परगना जींद, बांगर देश (अब हरियाणा) में स्थानांतरित किया था। इस निर्णय का कारण यह था कि इस क्षेत्र को सीधे दक्षिण में लोहगढ़ से जोड़ा गया था। इसी तरह 1665 में, गुरु तेग बहादुर साहिब ने बांगर देस से लोहगढ़ की यात्रा की।

वे जींद, कैथल, चीका, कराह, सियाना सईदा और फिर पिहोवा गए, जहां उन्होंने सिख संगत से मुलाकात की। इसके बाद फिर गुरु साहिब जिला कुरुक्षेत्र के गांव बारना रवाना हुए, जहां मनसद भाई सुधा ने उनका अभिवादन किया। इसी तरह थानेसर, लाडवा, यमुनानगर क्षेत्र में भी उनका जाना हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणावासियों का सौभाग्य है कि यहां गुरु तेग बहादुर जी के पावन चरण कई बार पड़े। उन्होंने यहां अनेक बार अपने प्रवास के दौरान संगत को दिव्य ज्ञान दिया और धर्म की रक्षा के लिए प्रेरित किया। जहां-जहां वे पधारे वहां उनकी याद को सदैव बनाए रखने के लिए गुरुघर स्थापित हैं जो सदियों से उनकी शिक्षाओं की ज्योति का प्रकाश फैला रहे हैं। ये 30 से भी अधिक स्थान अब पावन तीर्थ बन गए हैं और साल भर संगतें उन गुरूघरों में जाकर अपने जीवन को संवार रही हैं।

कार्यक्रम के दौरान हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार जगदीश झींडा, जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल, सरदार कुलदीप सिंह रोड़ी, सरदार अंग्रेज सिंह, जगदीश सिंह चौपड़ा, सरदार चरणजीत सिंह रोडी, सरदार दर्शन सिंह सरपंच, सहजेंद्र सिंह, जरनैल सिंह, मेजर सिंह, राजेंद्र सिंह देसुजोधा भी मौजूद थे।

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