चंडीगढ़ : हरियाणा राज्य सेवा अधिकार आयोग ने टोहाना निवासी एक उपभोक्ता को सुरक्षा राशि की वापसी में छह माह से अधिक की देरी के मामले में सुनवाई करते हुए संबंधित एलडीसी पर एक हजार रुपये का जुर्माना और तीन हजार रुपये का मुआवज़ा देने का आदेश पारित किया है।
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग ने जांच में पाया कि इस प्रकार के प्रकरण को एसडीओ कार्यालय से एक्सईएन कार्यालय को भेजने की प्रक्रिया अत्यंत सरल है, जिसमें केवल आवश्यक दस्तावेज़ों की प्रतियां संलग्न करनी होती हैं ताकि सुरक्षा राशि की दोहरी वापसी न हो। इसमें किसी प्रकार की जटिल प्रक्रिया सम्मिलित नहीं है।
उन्होंने कहा फिर भी, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मामला दिनांक 14 अगस्त 2024 को तत्कालीन एसडीओ के हस्ताक्षर से एक्सईएन कार्यालय को भेजा गया, जबकि वे 13 अगस्त 2024 को कार्यमुक्त हो चुके थे। इसके पश्चात इस प्रकरण को पुनः एक्सईएन कार्यालय को भेजने में छह माह से अधिक का विलंब हुआ, जिसका कोई युक्तिसंगत कारण प्रस्तुत नहीं किया जा सका।
यह देरी स्पष्ट रूप से एलडीसी (कैशियर/हेड कैशियर) की लापरवाही को दर्शाती है। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि एक आवश्यक दस्तावेज़ कैशियर द्वारा देना था, परंतु एक्सईएन व एसडीओ दोनों ने स्पष्ट किया कि यह दस्तावेज़ संलग्न करना एलडीसी की ही जिम्मेदारी थी। उन्होंने देरी के लिए कोई संतोषजनक कारण नहीं बताया, केवल यह कहा कि पूर्व में एक्सईएन कार्यालय द्वारा ऐसे दस्तावेज़ नहीं मांगे जाते थे। यह तर्क पूर्णतः अस्वीकार्य है।
हालांकि नियमानुसार ऐसे मामलों में ब्याज देने का कोई प्रावधान नहीं है, फिर भी उपभोक्ता को बार-बार एसडीओ कार्यालय के चक्कर लगाने पड़े और धन वापसी में हुई देरी से आर्थिक नुकसान हुआ। इसलिए आयोग ने हरियाणा सेवा अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(h) के अंतर्गत एलडीसी पर एक हजार रुपये का प्रतीकात्मक जुर्माना लगाया है तथा तीन हजार रुपये की मुआवज़ा राशि शिकायतकर्ता को देने के निर्देश दिए हैं।
आयोग ने एक्सईएन (ओपी), डिवीजन टोहाना को निर्देश दिए हैं कि एलडीसी के जून 2025 के वेतन से चार हजार रुपये की कटौती कर, जुलाई 2025 में एक हजार रुपये की राशि राज्य कोष में जमा कराएं तथा तीन हजार रुपये की राशि उपभोक्ता को मुआवज़े के रूप में वितरित करें।