Tuesday, November 26, 2024
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रामलीला देखने रोहतक पहुंचे राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, बोले- भारत देश में त्योहारों का अपना विशेष महत्व है 

रोहतक। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भारत देश में त्योहारों का अपना विशेष महत्व है। दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। त्योहार हमें नैतिकता, भलाई और सदाचार के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि इंसान की बुराई की राह पर हमेशा हार निश्चित होती है, प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में हमेशा सच्चाई के रास्ते पर चलकर नेक कार्य करने चाहिए।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय रविवार को देर सांय पुराना आईटीआई मैदान में दशहरा पर्व पर आयोजित रामलीला में नागरिकों को बतौर मुख्य  संबोधित कर रहे थे। उन्होंने उपस्थित लोगों को दशहरे की अग्रिम शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि दशहरा हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। प्रत्येक वर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को लोग इस पर्व को बड़े धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक धार्मिक और पारंपरिक उत्सव भी है। पहले 9 दिन तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और दसवीं दिन लोग असुर राजा रावण का पुतला जलाकर इस पर्व को मनाते हैं।
उन्होंने कहा कि दशहरे के दिन लोग अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करके नए जीवन की शुरुआत करते हैं, इसलिए यह बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व भी है।  उन्होंने कहा कि रामकथा सुनने से जीवन को पवित्रता मिलती है। मन को शांति मिलती है। भारत आध्यात्मिक और धार्मिक देश है। भगवान श्रीराम एक महापुरुष हैं, हमें केवल उनकी पूजा ही नहीं करनी चाहिए बल्कि उन जैसा बनना भी चाहिए। वे आदर्श पुत्र थे, उन्होंने अपने पिता की बात मानी और वनवास चले गए। वे एक आदर्श भाई और आदर्श राजा भी थे। उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। यह बड़ी अच्छी बात है कि यहां पुराना आईटीआई मैदान में आयोजित रामलीला के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। हम सभी की जल,जमीन और जंगल बचाने के लिए आगे आना होगा।
 बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि हमारे देश में त्योहारों का विशेष महत्व है। त्योहारों को मिलजुल मनाने से प्यार एवं प्रेम की भावना प्रबल होती है। हमें अपने आपसी मतभेद भुलाकर त्योहारों को धूमधाम के साथ मनाना चाहिए। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने रामलीला का आयोजन करने के लिए उद्योगपति व समाजसेवी राजेश जैन व रामलीला कमेटी के सभी सदस्यों को बधाई दी। हमें भी भगवान राम के आदर्शों का अपने जीवन अनुसरण करना चाहिए।
अपने संबोधन में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजबीर सिंह ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से युवाओं को शिक्षा और संस्कार मिलते हैं। ऐसे कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर शामिल होना चाहिए।
रामलीला उत्सव कमेटी द्वारा भव्य रामलीला महोत्सव एवं दशहरा मेले का आयोजन किया जा रहा है। रविवार को रामलीला मंचन के चौथे दिन सीता स्वयंवर व परशुराम लक्ष्मण संवाद का कलाकारों द्वारा बहुत ही सुन्दर ढंग से मंचन किया गया।
हरियाणा के राज्यपाल  दत्तात्रेय व रामलीला उत्सव कमेटी के मुख्य संरक्षक राजेश जैन व प्रधान सुभाष तायल ने आधुनिक तकनीक का प्रयोग करते हुए रिमोट का बटन दबाकर उद्घाटन किया। रामलीला में स्वामी सुरेशानंद जी महाराज के सानिध्य में समाज सेवी व उद्योगपति आयुष जैन व बिन्दु जैन, अति विशिष्ट अतिथि युकी जैन, सोम्या जैन ने शिरकत की। सभी अतिथियों ने हनुमान जी की संगीतमय महाआरती की। वहीं, रामलीला कमेटी के संरक्षक राजेश जैन ने कहा कि रामलीला जैसे आयोजनों से ही हम आज की युवा पीढ़ी को अपनी सभ्यता व संस्कृति से जोड़े रख सकते हैं, जो संस्कार खत्म होते जा रहे हैं, उन्हें जीवित रखने के लिए इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों का होना जरूरी है।

मंचन देखकर शहरवासी भाव विभोर हो गए

रामलीला में कलाकारों द्वारा सीता स्वयंवर व परशुराम लक्ष्मण संवाद का मंचन देखकर शहरवासी भाव विभोर हो गए। रामलीला के दौरान रविवार को सीता स्वयंवर में जब भगवान परशुराम जी युद्ध को जीतते हुए जनकपुर पहुंचें। जनक के मंत्री जी ने कहा कि महाराज परशुराम जी बड़े क्रोध में सब देशों को जीतते हुए आ रहे है तथा बड़े क्रोधित है। इसलिए कोई उपाय सोचा जाए। उस समय राजा जनक की पुत्री सीता भी वही थी। उन्होंने कहा कि पिता जी आप चिन्ता न करे, मैं यहां पर आपकी सहायता के लिए हूं। जैसे ही परशुराम जी वहॉं पर आये, सीता ने जो शिव धनुष रखा हुआ था, उसको अपने एक हाथ से उठा लिया और परशुराम जी के सामने खड़ी हो गई। यह देखकर परशुराम जी अचंभित हो गये और मन हीनता में सीता को प्रणाम किया। परशुराम ने राजा जनक से कहा कि तुम्हारी पुत्री का पति बहुत बलवान, शीलवान होगा, यह कहकर वहां से चले गए।
जब राजा जनक ने सीता को धनुष उठाते हुए देखा तो तभी से मन में सोचा कि जो भी शिव धनुष तोड़ेगा उसी से अपनी पुत्री का विवाह करूंगा। जब सीता जी शादी के योग्य हुई, तब राजा जनक ने स्वयंवर रचाया और प्रतीज्ञा सुनाई कि जो भी राजा शिव धनुष को तोड़ेगा उसी से मैं अपनी पुत्री का विवाह करूंगा। सभी देशों के राजा आये, यहां तक कि लंका का राजा रावण भी आया परन्तु धनुष को नहीं उठा सके। स्वयंवर में विश्वामित्र के साथ राम लक्ष्मण भी आये। अंत में विश्वामित्र के कहने से रामजी ने धनुष तोड़ा और सीता से विवाह सम्पन्न हो गया। रामलीला के दौरान रोजाना 200 किलो फूलों की हेलीकॉप्टर से वर्षा की जा रही है। साथ ही आकाश में धूमकेतु तारा शांति का संदेश देते हुए छोड़ा जा रहा है, जो शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। रामलीला में मंच का संचालन सतीश भारद्वाज व विजय गुप्ता बाबा ने बड़ी ही कुशलता के साथ किया। श्री रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों व सदस्यों द्वारा सभी अतिथियों को मोतियों की माला, बैज, पटका,  शाल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
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