रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में मंगलवार को ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री और साध्वी मानेश्वरी देवी के सानिध्य में निर्जला एकादशी पर ठंडे पानी व शरबत की छबील लगाई गई। छबील में धर्म प्रेमी लोगों का तांता लगा रहा। भक्तों ने भी मंदिर में पानी का मटका, पंखा, मिठाई, फल व दक्षिणा दी व ठंडा जल अन्य वस्तुएं चढ़ाई। भक्तों ने निर्जल रहकर एकादशी का व्रत रखा और परिवार की सुख, समृद्वि व खुशहाली की कामना की। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।
निर्जला एकादशी पर व्रत रखने से बैकुंठ की प्राप्ति संभव : साध्वी मानेश्वरी देवी
गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने सत्संग करते हुए बताया कि हिंदू धर्म में वैसे तो सभी एकादशी तिथियों को बहुत खास और महत्वपूर्ण माना गया है। किंतु बताते हैं कि धर्म शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति निर्जला एकादशी व्रत रखता है, उसे बैकुंठ में स्थान मिलता है।
उन्होंने निर्जला एकादशी की कथा भी सुनाई। उन्होंने कहा कि ज्येष्ठ माह में आने वाली निर्जला एकादशी का महत्व सबसे अधिक माना गया है क्योंकि यह व्रत भीषण गर्मी में पड़ता है और ऐसे में यदि पानी का दान किया जाए तो सबसे बड़ा पुण्य होता है। इस दिन व्रत रखने वाला जातक स्वयं पानी नहीं पीता, लेकिन राहगीरों को पानी अवश्य पिलाता है। साथ ही पशु-पक्षियों के लिए भी पानी का इंतजाम करना सबसे बड़ा पुण्य होता है। इस दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की पूजा होती है। घर परिवार की सुख समृद्धि व आध्यात्मिक शांंति की प्राप्ति के यह इस व्रत रखने का प्रावधान है। इसे देवव्रत भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।