Rohtak News : रोहतक शहर की विभिन्न सड़कों पर समय-असमय सीवर ओवरफ्लो होकर गंदा पानी इकट्ठा होता है जिसके चलते आम नागरिकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं सर्दियों के मौसम में भी सीवर ओवरफ्लो होकर गंदा पानी सड़कों पर फैला नजर आता है। ऐसा ही नजारा गुरुवार को डीएलएफ कालाेनी में नजर आया।
इन सीवरों के ओवरफ्लोे का सबसे बड़ा कारण रोहतक स्थित डेयरियों को माना जाता है क्योंकि डेयरी मालिक अपने पालतू पशुओं का अवशेष इन सीवरों के माध्यम से बहाते रहते है जो सीवरों के बहने में बाधा उत्पन्न करते है। नगर निगम पशुपालन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण विभाग भी इस समस्या को हल करने में कोई सफल योजना क्रियान्वित नहीं कर सका।

हालांकि इनेलो सरकार के समय कन्हेली रोड पर रोहतक शहर से डेयरियों को बाहर निकालने के लिए डेयरी कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना क्रियान्वित की थी लेकिन डेयरी मालिकों ने इस डेयरी कॉम्प्लेक्स में स्थानांतरित करने में कम रूचि दिखाई। जिसके कारण शहर से अधिकांश डेयरियां बाहर नहीं निकल पाई। सीवरों से गंदे पानी के बाहर बहने से अनेक बीमारियां जन्म ले रही है जिनमे आजकल अधिकतर खतरनाक बीमारी डेंगू अपने पांव तेजी से फैला रही है। जब इन सीवरों से गंदा पानी बाहर निकलता है, तो उसमे से उठने वाली बदबू असहनीय हो जाती है। सड़कों पर गंदे पानी के बहते समय वाहन चालक अपने वाहन की गति को सीमित नहीं करते जिसके परिणामस्वरूप गंदा बदबूदार पानी इधर-उधर छिटक जाता है तो लोगों के कपड़े और शरीर पर गिरता है।
डेयरी मालिकों का कहना है कि जब तक शहर से सभी डेयरियां शिफ्ट नहीं होगी वह भी अपनी डेयरियों को शहर से बाहर नहीं ले जाएंगे। नवनिर्मित डेयरी कॉम्प्लेक्स में सुविधाएं भी नामात्र है। पशुओं के पीने के पानी की र्प्याप्त व्यवस्था न होना उनमें प्रमुख समस्या है। कन्हेली रोड़ स्थित डेयरी कॉम्पलैक्स शहर से लगभग 4-5 किलोमीटर दूर है जिसके चलते डेयरी मालिकों को अपने पशुओं का दूध सप्लाई करने में कठिनाई आती है। यही नहीं डेयरी कॉम्प्लेक्स स्थित सड़के भी अच्छी स्थिति में नहीं है। थोड़ी सी बरसात होते ही इन सड़कों पर कीचड़ जमा हो जाती है जिससे वाहन सुचारू रूप से नहीं चल पाते। बारिश के दिनों में कई लोग हादसे का शिकार भी हो चुके है।
कन्हेली रोड स्थित डेयरी कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट हुए डेयरी मालिकों का कहना है कि डेयरी कॉम्प्लेक्स में जो डेयरी स्थापित की गई है उनका क्षेत्रफल काफी कम है जिसके चलते वो पशुओं के लिए चारे का भंडारण नहीं कर पाते और ना ही वहां पर पशुओं के पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है और उन्हे समय-असमय पानी के टैंकर मंगवाने पडते है जिससे उन पर आर्थिक बोझ पड़ता है।