Tuesday, April 22, 2025
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मरने के बाद दूसरों के लिए मिसाल बन गईं रोहतक की शांति देवी

रोहतक: साईं दास कॉलोनी निवासी 95 वर्षीय शांति देवी जी तो हमेशा मानवता की सेवा के लिए कार्य करते ही रहीं मरने के बाद भी वें दुनिया के लिए देहदान करके एक मिसाल कायम कर गई हैं। शांति देवी के परिवार ने मरणोपरांत सोमवार को उनका शरीर पीजीआईएमएस के एनाटॉमी विभाग में छात्रों की रिसर्च के लिए दान किया।

एनाटमी विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश कांता राठी ने स्व. शांति देवी का शरीर दान करने के लिए उनके परिजनों का आभार जताया और उन्हें याद स्वरूप एक पौधा भेंट किया। डॉ. एस. के. राठी ने कहा कि हमें मरने के बाद भी अपनी यादें छोड़नी हैं तो अपनी आंखें दान करनी चाहिए क्योंकि जिन लोगों को आपकी आंखें लगेंगी वें ताउम्र आपके आभारी रहेंगे।

उन्होंने कहा कि शांति देवी के परिवार ने शरीर दान करवाकर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है और यह अन्य लोगों के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने कहा कि आज जब समाज के लोग रक्तदान करने से डरते हैं ऐसे में शरीर दान करना बहुत ही नेक कार्य है।

डॉ. कमल ने बताया कि स्व. शांति देवी के बेटे सतीश चंद व यशपाल ने अपनी मां की इच्छा को पूरा करने के लिए  पीजीआई में बच्चों की रिसर्च के लिए शरीर दान किया है।

यशपाल ने बताया कि उनकी माता बहुत ही धार्मिक पर्वती की महिला थी वें भगवान की किताबें पढ़ती रहती थी और उन्हीं से उन्हें प्रेरणा मिली थी कि मरने के बाद भी मानवता की भलाई के लिए हमें अपना शरीर दान करना चाहिए। उनकी इच्छा पर ही उन्होंने पीजीआई में से फॉर्म लाकर अपनी माता का फॉर्म भरवाया था और उनका शरीर पूरा होने पर वह  अपनी माता का शरीर रिसर्च के लिए दान करने पीजीआइएमएस पहुंचे हैं।

सतीश चंद्र ने कहा कि हमें जीते जी रक्तदान और मरणोपरांत अंगदान अवश्य करना चाहिए। उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि हमें समाज में फैली हुई भ्रांतियों से नहीं डरना चाहिए और ऐसे कार्यों के लिए आगे आना चाहिए जिससे समाज जागरूक हो।

इस अवसर पर डॉ. आरती, डॉ.कमल सिंह, डाॅ. गुरूप्रीत सिंह, डॉ सौजन्या अग्रवाल, डॉ एलेक्स सहित कई लोग उपस्थित थे।

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