Friday, December 5, 2025
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सेवा में देरी पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के खिलाफ राइट टू सर्विस आयोग का बड़ा निर्णय

हरियाणा राइट टू सर्विस आयोग ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग से संबंधित स्टाम्प शुल्क वापसी तथा सुरक्षा ऑडिट योजना के दो मामलों पर महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि विभाग के अधिकारियों द्वारा आवश्यक दस्तावेज जमा होने के बावजूद सेवाओं का समयबद्ध निपटारा नहीं किया गया।

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि स्टाम्प शुल्क वापसी मामले में अपील स्वीकार होने के बाद प्रकरण पूरी तरह राइट टू सर्विस अधिनियम के दायरे में आता है। आयोग ने विभाग द्वारा दी गई दलील को अस्वीकार करते हुए निर्देश दिया था कि विभाग प्रमुख आयोग द्वारा 08 अगस्त 2025 को दिए गए अवलोकनों का विस्तृत उत्तर प्रेषित करें।

सुरक्षा ऑडिट योजना मामले में यह तथ्य सामने आया कि फाइल कई स्तरों पर अनावश्यक रूप से लंबित रखी गई। विशेष रूप से, जिला सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम केंद्र, फरीदाबाद में तैनात उद्योग विस्तार अधिकारी के पास प्रकरण अत्यधिक अवधि तक लंबित पाया गया। आयोग ने विलम्ब के कारणों को असंतोषजनक मानते हुए राइट टू सर्विस अधिनियम की धारा 17(1)(h) के तहत पांच हजार रुपये का दंड लगाने का आदेश दिया है। विभाग प्रमुख को निर्देश दिया गया है कि यह राशि दिसंबर 2025 के वेतन से काटकर जनवरी 2026 में राज्य कोष में जमा कराई जाए।

अन्य अधिकारियों से प्राप्त जवाबों को देखते हुए उनके विरुद्ध नोटिस वापस ले लिए गए हैं, परंतु आयोग ने सभी को चेतावनी दी है कि भविष्य में सेवाओं की अधिसूचित समय सीमा का पूर्ण पालन सुनिश्चित किया जाए। आयोग ने यह भी उल्लेख किया है कि नोटिस जारी होने के बाद विभाग ने शिकायतकर्ता के दोनों मामलों में कार्यवाही पूरी कर दी है।

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