कुरुक्षेत्र : धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हो रहे ब्रह्मसरोवर के तट पर अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में राजा महाराजाओं की भूमि राजस्थान की संस्कृति की झलक देखी जा रही है।
गीता महोत्सव में लोग राजस्थान की दाल बाटी, चूरमा ओर राजस्थान की राज कचोरी, केसरिया दूध आदि स्वादिष्ट पकवानों का स्वाद चखने महोत्सव में दूर दूर से आ रहे है।
इसके अलावा राजस्थान का लोक नृत्य कच्ची घोड़ी लोगों में अलग ही उत्साह उत्पन्न कर रहा है। पर्यटक कलाकारों के साथ झूम रहे है तथा उनकी कला के बारे में जानने के लिए उत्सुक है।

महोत्सव के सरस मेले में उत्तरी-पश्चिमी तट पर स्टॉल नंबर 819-20 पर राजस्थान के पारंपरिक देशी खानपान के व्यंजनों को पर्यटकों के सजाया गया है। राजस्थानी खाने-पीने के इस स्टॉल ने महोत्सव में आने वाले पर्यटकों के जीभ के स्वाद को बढ़ाने का काम किया जा रहा है।
इस स्टॉल पर राजस्थान के देशी व्यंजनों का पर्यटक स्वाद चख सकते है और इस समान को पैक करवाकर अपने घर भी ले जा सकते है। इतना ही नहीं राजस्थान की पुरातन नृत्य शैली के दर्शन भी महोत्सव में आने वाले पर्यटक कर सकते है।
राजस्थान के यह नृत्य पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इसमें नर्तक नकली घोड़ी पर सवारी करते है। जब वह नृत्य करते हैं तो वह इस नृत्य के साथ वह भगवान के साथ संपर्क करने की कोशिश करते है।

