पंजाब की ईमानदार सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसके नेता जनता की भलाई के लिए अपने निजी हितों से ऊपर उठकर सोचते हैं। इसकी सबसे बड़ी मिसाल स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह द्वारा अपने पैतृक घर और उससे जुड़ी दुकानों की इमारत सरकार को समर्पित करना है, ताकि गांव भौरा (जिला नवांशहर) में आम आदमी क्लिनिक बनाया जा सके। यह कदम न केवल उनकी ईमानदारी और जनता के प्रति समर्पण को दर्शाता है, बल्कि पंजाब की राजनीति में एक अनोखा संदेश भी देता है कि सच्चे जन–प्रतिनिधि कौन होते हैं।
डॉ. बलबीर सिंह के इस प्रेरणादायक फैसले से गांव भौरा के लोगों को बहुत लाभ मिलेगा। अब उन्हें उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दूर-दराज़ के शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। क्लिनिक बनने से लोगों को नजदीक ही इलाज की सुविधाएं मिलेंगी, जिससे उनका समय और पैसा दोनों बचेगा। यह सरकार के उस वादे को पूरा करता है कि स्वास्थ्य सेवाओं को हर गांव और हर मोहल्ले तक पहुँचाया जाए।
आम आदमी क्लिनिकों में जनता को मुफ्त इलाज, मुफ्त दवाइयां और मुफ्त लैब टेस्ट की सुविधाएँ मिलती हैं। ये वही सुविधाएँ हैं जो पहले केवल बड़े शहरों के अस्पतालों में ही उपलब्ध थीं। डॉ. बलबीर सिंह के इस कदम से अब ये सेवाएँ गांव स्तर पर भी आसानी से लोगों तक पहुंचेंगी। यह जनता–केंद्रित सोच पंजाब सरकार की स्वास्थ्य नीति को और अधिक मजबूत करती है।
स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उनका उद्देश्य सिर्फ यह है कि कोई भी पंजाबी इलाज से वंचित न रह जाए। हर वर्ग के लोग, चाहे गरीब हों या अमीर, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बराबर हकदार हैं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे ये क्लिनिक जनता के बीच भरोसा बढ़ाते हैं कि सरकार उनकी सेहत के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
गांव भौरा में क्लिनिक बनाने के लिए अपनी निजी संपत्ति देना किसी आम राजनेता की बात नहीं, यह केवल वही कर सकता है जो जनता की जरूरतों को अपने स्वार्थ से ऊपर रखता हो। डॉ. बलबीर सिंह का यह कदम केवल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए क्रांतिकारी नहीं है, बल्कि पंजाब की राजनीति के लिए भी एक मिसाल है। यह जनता को यह संदेश देता है कि यदि नेता चाहें तो वे अपनी संपत्ति भी जनता की भलाई के लिए समर्पित कर सकते हैं।