चंडीगढ़। हरियाणा में शव सम्मान एक्ट को लेकर प्राइवेट अस्पताल संचालकों द्वारा आपत्ति जताने का मामला सामने आया है। दरअसल सरकार द्वारा शव सम्मान एक्ट के तहत अस्पताल वालो हेतु बिना बिल चुकाए शव को देने का नियम बनाया गया था जिसके बाद गृह मंत्री अनिल विज के बाद निजी अस्पताल संचालकों ने भी इस एक्ट पर आपत्ति जताते हुए सीएम मनोहर लाल और अनिल विज को इसमें संशोधन हेतु कहा है। इसी के तहत अब इस एक्ट पर दोबारा से सोचा विचार जायेगा साथ ही हो सकता है की इस एक्ट को आगामी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी पेश किया जा सकता है।
प्राइवेट अस्पताल संचालकों ने जताई आपत्ति
आपको बता दें कि हरियाणा में सरकार द्वारा शव सम्मान एक्ट बनाया गया था। इस एक्ट के तहत मृत शरीर के साथ विरोध प्रदर्शन करने वालों को एक साल तक की कैद और 50 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान , सरकार को स्थानीय अथॉरिटीज के द्वारा ऐसे शवों का अंतिम संस्कार करने का अधिकार देने का प्रस्ताव, और अस्पताल वालों द्वारा पैसों की कमी के चलते बिना बिल चुकाए शव देने का प्रावधान बनाया गया था। जिसके बाद प्राइवेट अस्पताल संचालकों ने एक्ट के एक पॉइंट पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि बिना बिला चुकाए शव को देने से विवाद होगा और साथ ही कानूनी मामले भी बढ़ेंगे।
उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज तक अपनी इस आपत्ति को दर्ज कराया है, जिसके बाद फिर से इस पर मंथन शुरू हो गया है। जानकारी के अनुसार निजी अस्पताल संचालक, उनके संगठन और एसोसिएशन की ओऱ से विधायकों, मंत्रियों के माध्यम से इस बात को सीएम तक पहुंचाया गया है। मृत शरीर सम्मान बिल पहले से राजस्थान में लागू है। इसका अध्ययन करने को मंत्री ने कहा है, उसके बाद भी इस बिल को इसी सत्र में लाने की तैयारी चल रही है।
अनिल विज ने उठाई आपत्ति
प्रस्तावित विधेयक में अधिकारी विरोध प्रदर्शन कर रहे परिवार के सदस्यों के शव को अपने कब्जे में ले सकता है। इस विधेयक की मंजूरी से पहले अनिल विज ने दो बिंदुओं पर आपत्ति लगाई है। विज का कहना है कि विधेयक में अभी कुछ चीजें पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। उसके लिए गृह विभाग को कहा गया है। साथ ही प्रदर्शनकारियों पर ऐसी कार्रवाई का क्या प्रभाव पड़ेगा ये जानना भी जरूरी है।
इसलिए एक्ट का ड्रआफ्ट तैयार कर रहे अधिकारी अपनी स्टडी रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसके बाद यह रिपोर्ट विभागीय मंत्री अनिल विज को देंगे। जिसके बाद ही यह बिल आ सकेगा। इस विधेयक के पहले ड्राफ्ट में शव को सड़क पर रखकर जाम लगाने और सरकारी संपत्ति फूंक दिए जाने जैसी घटनाओं पर भी रोक लगाने की योजना पर विचार हो रहा है। गृहमंत्री ने ड्राफ्ट को लेकर आशंका जाहिर की थी, जहां पर भी यह लागू है वहां की अध्ययन रिपोर्ट मंगाने की बात विज ने कही है। अधिकारी इस दिशा में काम कर रहे हैं।
राजस्थान में सबसे पहले आया था ये विधेयक
जुलाई में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राजस्थान शवों का सम्मान विधेयक, 2023 पारित किया। जिसमें शवों के साथ विरोध प्रदर्शन करने वालों को जुर्माने के साथ पांच साल तक की कैद की सजा देने का प्रावधान है। यह परिवार को जल्द से जल्द दाह संस्कार के लिए उत्तरदायी बनाता है. यदि परिवार मृत शरीर का दाह संस्कार करने से इनकार करता है, तो पब्लिक अथॉरिटी अंतिम संस्कार कर सकते हैं।