राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ( PresidentDroupadi Murmu) ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित एक समारोह में भूविज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय भूविज्ञान पुरस्कार-2024 (National Geoscience Awards) प्रदान किए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि खनिजों ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पृथ्वी की सतह पर पाए जाने वाले खनिजों ने मानव जीवन का आधार तैयार किया है और हमारे व्यापार एवं उद्योग को आकार दिया है। पाषाण युग, कांस्य युग और लौह युग जैसे मानव सभ्यता के विकास के प्रमुख चरण खनिजों के नाम पर रखे गए हैं। लोहे और कोयले जैसे खनिजों के बिना औद्योगीकरण की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
राष्ट्रपति ने कहा कि खनन आर्थिक विकास के लिए संसाधन प्रदान करता है और रोज़गार के व्यापक अवसर पैदा करता है। हालांकि, इस उद्योग के कई प्रतिकूल प्रभाव भी हैं, जिनमें निवासियों का विस्थापन, वनों की कटाई और वायु एवं जल प्रदूषण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए खनन प्रक्रिया के दौरान सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। खदानों को बंद करते समय भी उचित प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि निवासियों और वन्यजीवों को कोई हानि न हो।
राष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि हमारा देश तीन तरफ़ से महासागरों से घिरा हुआ है। इन महासागरों की गहराई में कई बहुमूल्य खनिजों का भंडार है। राष्ट्र के विकास के लिए इन संसाधनों के उपयोग में भूवैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने वैज्ञानिकों से ऐसी प्रौद्योगिकियां विकसित करने का आग्रह किया जो समुद्री जैव विविधता को कम से कम हानि पहुंचाते हुए राष्ट्र के लाभ के लिए समुद्र तल के नीचे के संसाधनों का दोहन कर सकें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भूवैज्ञानिकों की भूमिका केवल खनन तक ही सीमित नहीं है। भू-पर्यावरणीय स्थिरता पर खनन के प्रभाव पर भी उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता है। खनिज उत्पादों के मूल्यवर्धन और अपव्यय को न्यूनतम करने के लिए प्रौद्योगिकी का विकास और उपयोग आवश्यक है। यह सतत खनिज विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि खान मंत्रालय स्थिरता और नवोन्मेषण के लिए प्रतिबद्ध है और खनन उद्योग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), मशीन लर्निंग और ड्रोन-आधारित सर्वेक्षणों को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने खदानों से निकलने वाले अवशेषों से मूल्यवान तत्वों की प्राप्ति के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि दुर्लभ मृदा तत्व (आरईई) आधुनिक प्रौद्योगिकी की रीढ़ हैं। ये स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर रक्षा प्रणालियों और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों तक, हर चीज़ को शक्ति प्रदान करते हैं। वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए, भारत को इनके उत्पादन में आत्मनिर्भर होना (स्रोत-PIB)