- “पापा: मेरे जीवन की प्रेरणा, हरियाणा की शान और युवाओं के प्रेरणा स्रोत”
- “हरियाणा का जनसेवक जिसने राजनीति को लोकसेवा बनाया।”
बात उस दिन की है जिस दिन चुनाव प्रचार के दौरान मैं अपने पिता के साथ प्रचार के लिए निकली मैंने देखा कि बहुत सारे लोग उनके स्वागत में फूलों और नोटों की माला लिए खड़े हैं तब अचानक उनके समर्थकों का हुजूम उमड पड़ा और मैंने देखा कि मेरे पिता फूलों की माला तो ले रहे हैं, परंतु नोटों की माला अपने समर्थकों को वापस लौटा रह है। मैंनेआमतौर पर नेताओं द्वारा प्रचार के दौरान नोटों की माला लेने की बातें सुनी थी उत्सुकता वश मैंने रात को पापा से इस बारे में जिक्र कर लिया तब उन्होंने मेरी ओर बड़ी ही नम्रता से देखा और बोले श्रुति बेटा जब मैं किसी गरीब आदमी जिसका कुर्ता फटा हुआ हो उसे दस-दस रुपए की नोटों की माला मेरे स्वागत में पहनाने के लिए खड़ा देखता हूं ,तो मेरा मन दुखी हो जाता है और तब केवल मेरे मन में एक ही बात आती है कि मैं इस व्यक्ति का और इस जैसे हजारों लोगों का भला किस तरह कर सकता हूं ,मुझे मेरे पिता द्वारा बोले गए ये शब्द हमेशा याद रहते हैं। इन्हीं शब्दों ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी, शायद उनकी यही सोच उन्हें सादगी सत्यनिष्ठ, गरीबी हितैषी, पितृ भक्त, और दूसरे लोगों से अलग बनाती है।
मेरे जीवन में 15 नवंबर का दिन सबसे अधिक महत्व रखता है इसी तारीख 15 नवंबर 1946 के दिन भिवानी जिले की रेतीली भूमि गोलागढ गांव में मेरे पिता स्वर्गीय चौधरी सुरेंद्र सिंह जी का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ वे अपने पिता और पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के आदर्श बेटे थे। उन्होंने अपना जीवन अपने पिता के सारथी बनकर व्यतीत किया। पितृ भक्त सुरेंद्र सिंह की नजरों में जो सम्मान पिता का था इसका उल्लेख शब्दों में नहीं किया जा सकता परंतु उसके बावजूद भी मैं यहां एक बात बताना उचित समझूगी की कि वे पिता का इतना सम्मान करते थे कि जब चौधरी बंसीलाल जी मंच पर भाषण देते थे तब सुरेंद्र सिंह जी मंच पर नहीं खड़े होते थे पिता के सम्मान में भी आम कार्यकर्ता की तरह मंच से नीचे उतर कर उनका भाषण सुनते थे। इसी तरह का एक और उदाहरण मैं आपको बताना चाहूंगी उनकी मृत्यु के पश्चात भिवानी के राधा स्वामी सत्संग भवन में जब रक्तदान शिविर लगाया गया तो हजारों की संख्या में लोगों ने रक्तदान किया जो रिकॉर्ड बना ।उस समय कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह जी कार्यक्रम में पधारे उन्होंने सुरेंद्र सिंह जी की पितृ भक्ति के बारे में उदाहरण देकर सब को चकित कर दिया उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी सुरेंद्र सिंह जी को हरियाणा की बागडोर मुख्यमंत्री बनाकर सौपना चाहते थे ।इसके लिए राजीव जी ने सुरेंद्र सिंह जी को अपने पास बुलाया और कहा कि तुम हरियाणा की बागडोर संभालने के लिए तैयार हो जाओ मैं तुम्हें हरियाणा का मुख्यमंत्री देखना चाहता हूं परंतु पिता भक्त सुरेंद्र सिंह जी ने उन्हें यह कहकर इनकार कर दिया कि जब तक चौधरी बंसीलाल जी हैं वे मुख्यमंत्री पद का सपना भी नहीं ले सकते उनके लिए पिता ही सर्वोपरि हैं अतः उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया जाए ऐसा उदाहरण बहुत कम देखने को मिलता है ,सुरेंद्र सिंह जी अक्सर मुझे कहा करते थे ,श्रुति बेटा मेरे लिए बाउजी आदेश सर्वोपरि है। पिता के प्रति उनका आदर भाव और सम्मान आज की युवा पीढ़ी के लिए अनुकरनीय है। राजनीति में उतार चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन वह हमेशा अपने पिता के साथ खड़े रहे। हरियाणा के युवाओं के प्रेरणा स्रोत चौधरी सुरेंद्र सिंह हरियाणा की राजनीति में अपना अहम योगदान रखते हैं। चौधरी बंसीलाल जी को हरियाणा का निर्माता कहा जाता है लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हरियाणा के निर्माण में चौधरी सुरेंद्र सिंह की पसीने की महक देखी जा सकती है।
जनता की तकलीफ समझने वाले नेता :
चौधरी सुरेंद्र सिंह जनता के दुख तकलीफों को भली प्रकार से समझने वाले थे। किसान परिवार से आने वाले सुरेंद्र सिंह जब 2005 में हरियाणा सरकार में कृषि मंत्री बने थे तब मंत्री बनते ही पहली कलम से हरियाणा की जमीनों का राजस्व रिकॉर्ड आनलाईन करवा दिया था। पहले किसान भाईयों को जमीन कि फर्द निकलवाने के लिये पटवारियों के कई चक्कर काटने पड़ते थे और खर्चा भी ज्यादा लगता था। अब ये काम चंद मिनटों मे हो जाता है और खर्चा भी कम लगता है। किसानों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए अनाज मंडियों में किसान रेस्ट हाउस बनवाने का काम भी चौधरी सुरेंद्र सिंह ने किया था।
पहली बार मंत्री :
सुरेंद्र सिंह 1982 में पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी के आदेशों पर हरियाणा के कृषि एवं वन्य जीव संरक्षण मंत्री बने थे।
जनभावना के अनुकूल चलने वाले नेता :
चौधरी सुरेंद्र सिंह जनता की भावनाओं के साथ चलने वाले नेता थे और उन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी जन भावनाओं के साथ कोई समझौता नहीं नहीं किया। जनता की आवाज उनके लिए सर्वोपरि थी अक्सर वे कहा करते थे जनता की आवाज परमात्मा की आवाज है जनता जो भी फैसला करती हैं वही लोकतंत्र की आत्मा है।
सुरेंद्र सिंह का राजनीतिक करियर :
सुरेंद्र सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन बहुत ही उत्कृष्ट रहा उन्होंने ला ग्रेजुएट कर उच्च शिक्षा प्राप्त की और चंडीगढ़ बार काउंसिल के दो बार चैयरमेन रहे ।उन्होंने सबसे युवा बार काउंसिल चैयरमेन बनने का गौरव प्राप्त हुआ।हालांकि चौधरी बंसीलाल जी 1968 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए थे। स्वर्गीय संजय गांधी जी से उनका बेहद लगाव था। सुरेंद्र सिंह जी 1973 से 77 तक भारतीय युवा कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे। 1977 में वे पहली बार विधायक बने और 1986 तक लगातार दो बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य चुने गए। इसी दौरान वह 1982-83 में कैबिनेट मंत्री, कृषि और वन्यजीव संरक्षण, हरियाणा बने। 1986 से 92 तक वह राज्यसभा सांसद रहे। बाद में 1996 और 1998 में लगातार दो बार भिवानी से लोकसभा सांसद चुने गए।
1998 का लोकसभा चुनाव :
1998 लोकसभा चुनाव में बंसीलाल जी ने अपनी हरियाणा विकास पार्टी से सुरेंद्र सिंह जी को भिवानी सीट पर उतारा। इसी सीट पर कांग्रेस ने रणबीर महेंद्रा को टिकट दे दिया। सुरेंद्र सिंह जी ने अपने पिता बंसी लाल जी से कहा कि रणबीर महेंद्रा कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं अतः मेरा चुनाव लड़ना ठीक नहीं है पर पिता ने उस समय आदेश दिया कि सुरेंद्र चुनाव लड़ना बहुत जरूरी है और कुछ लोगों को सबक सिखाना आवश्यक है, यह मेरा आदेश है पिता का आदेश मानते हुए उन्होंने चुनाव लडा और 9711 वोटों से जीते उनके भाई रणबीर तीसरे नंबर पर रहे। अजय चौटाला दूसरे नंबर पर रहे।
युवाओं के प्रेरणा स्रोत थे सुरेंद्र सिंह…..
सुरेंद्र सिंह के दिल में हमेशा युवाओं और किसानों के प्रति हमदर्दी रहती थी। सुरेंद्र सिंह जी युवाओं को हमेशा आगे बढ़ाने का काम करते थे, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान युवाओं के हितों के लिए अनेक कार्य किये ,युवाओं से संवाद के दौरान वे हमेशा उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देते थे , उन्हें खेलों से बहुत प्रेम था क्रिकेट के वे बहुत अच्छे खिलाड़ी थे देश की संसद में सांसद क्रिकेट खिलाड़ियों में उनके उच्च स्थान था ।युवाओं के बीच क्रिकेट खेलना उनको बहुत पसंद था अक्सर दिल्ली और भिवानी खेल मैदानों में बच्चों और युवाओं के साथ क्रिकेट खेलते नजर आ जाते थे। युवा खिलाड़ियों को निजी तौर पर पैसों से खेलों का सामान दिया करते थे ताकि बच्चों में अधिक से अधिक खेलों के प्रति रुचि उत्पन्न हो सके। युवा खिलाड़ी और उनके साथ खेल कर उन्हें बड़ा आनंद अनुभव होता था । उन्होंने मंत्री पद पर रहते हुए किसानों के हित में कई कदम उठाए। आज प्रदेश में जितने भी किसान रेस्ट हाउस बने हुए हैं वह निश्चित तौर पर सुरेंद्र सिंह की सोच का परिणाम हैं। जब प्रदेश में हरियाणा विकास पार्टी की सरकार बनी तब सुरेंद्र सिंह ने युवाओं के लिए अनेक योजनाएं बनवाने का काम किया ताकि हरियाणा के युवाओं को परेशानी ना हो। 28 मार्च 2005 को कृषि मेले के दौरान चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में उनका अंतिम भाषण किसानों के लिए उनके मन में सम्मान को दर्शाता है उन्होंने अपने भाषण में कृषि वैज्ञानिकों से खुलकर अनुरोध किया की कृषि वैज्ञानिक ऐसी फसलों की नस्ल तैयार करें जो कम पानी में अधिक पैदावार दे सके उन्हें किसानों की वास्तविक समस्याओं का ज्ञान था ,उन्हें पता था की प्रदेश के कई जिलों में भूजल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है और भीषण जल संकट उत्पन्न हो गया है ,इसीलिए ऐसी फैसले तैयार की जाए जो कम पानी में अधिक उपज दे सके। किसानों के प्रति उनके मन में अपार श्रद्धा , निष्ठा थी, कृषि की समझ उन्हें धरतीपुत्र होने का गौरव प्रदान करती है।
31 मार्च 2005 को जब वे चंडीगढ़ से सम्मानित नेता श्री ओमप्रकाश जिंदल जी के साथ हेलीकॉप्टर में बैठकर चंडीगढ़ से दिल्ली आ रहे थे तब अचानक हेलीकॉप्टर क्रश की वजह से हादसा हुआ और उनका निधन हो गया उनके साथ ओमप्रकाश जिंदल जी का भी निधन हो गया। यह प्रदेश की राजनीति के लिए वह पल था जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। उनकी मृत्यु से जो रिक्त स्थान पैदा हुआ वह कभी नहीं भरा जा सका। उनका जन्न मानस से जुड़ाव और लोकप्रियता का वास्तव में मुझे तब पता चला जब दिल्ली से गोलागढ गांव तक उनके अंतिम दर्शन और संस्कार के लिए लाखों लोग दो दिनों तक कतार में लगे रहे। देश व प्रदेश के लोगों ने उस समय देखा कि एक सच्चा नेता कौन होता है, कार्यकर्ता और आम लोगों के मन में उनके प्रति कितना सम्मान था लोगों की आंखों से उनके देहांत पर बहने वाले आंसू उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव प्रकट कर रहे थे। ऐसा सौभाग्य कुछ ही लोगों को मिल पाया है जिन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लाखों कार्यकर्ता और आम लोग इतनी बड़ी संख्या में पहुंचे हो व प्रदेश के कोने-कोने से आए हो ।लोगो की संख्या यह गवाही दे रही थी कि सुरेंद्र सिंह प्रदेश के कोने-कोने से वाकिफ थे लोगों के दिलों में उनके प्रति अपार प्रेम था। ऐसा सम्मान बहुत कम लोगों को नसीब हो पाता है।
मैंने अपने जीवन में अपने पापा को एक संपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में पाया है परमात्मा से प्रार्थना करती हूं कि अगले जन्म में भी मुझे इसी आदर्श पिता की संतान होने का सौभाग्य प्राप्त हो मेरा लक्ष्य भी पिताजी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर उन्हीं की तरह सादगी पूर्ण , कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करते हुए जन सेवा को अपना जीवन समर्पित करूं ।
(लेख- श्रुति चौधरी कैबिनेट मंत्री हरियाणा सरकार)

