चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने राज्य के सभी प्रशासनिक सचिवों को ‘मीडिएशन फॉर द नेशन’ नामक राष्ट्रव्यापी अभियान में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। जुलाई से सितंबर 2025 तक चलने वाला यह 90 दिवसीय अभियान राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) और सर्वोच्च न्यायालय की मीडिएशन एंड कन्सीलेशन प्रोजेक्ट कमेटी (एमसीपीसी) द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य देशभर के तालुका न्यायालयों, जिला न्यायालयों और उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों का मध्यस्थता के माध्यम से शीघ्र निपटारा करना है।
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी द्वारा इस बारे में सभी प्रशासनिक सचिवों को एक जारी एक पत्र में कहा गया है कि इस पहल के तहत हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की मध्यस्थता और सुलह समिति द्वारा एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिव, यूटी चंडीगढ़ के गृह सचिव, दोनों राज्यों के महाधिवक्ता और यूटी चंडीगढ़ के स्थायी अधिवक्ता शामिल हुए। बैठक में उपयुक्त मामलों की पहचान करने और उन्हें मध्यस्थता के लिए भेजने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मध्यस्थता और सुलह केंद्र के निदेशक द्वारा विभागों को भूमि अधिग्रहण और सेवा से जुड़े लंबित मामलों की सूची उपलब्ध कराई जाएगी। जिन विभागों के मामले उच्च न्यायालय में लंबित हैं, वे इस सूची की समीक्षा कर ऐसे मामलों की पहचान करेंगे, जिनका समाधान मध्यस्थता के माध्यम से संभव है। इसके अतिरिक्त, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) और हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत संरचना विकास निगम (एचएसआईआईडीसी) से संबंधित एचयूआईडी श्रेणी के मामलों को भी मध्यस्थता के लिए चिह्नित किया जाएगा।
सभी संबंधित विभागों को राज्य सरकार की लिटीगेशन पॉलिसी का अध्ययन करने और महाधिवक्ता से परामर्श कर ऐसे मामलों की पहचान करने को कहा गया है, जिनका समाधान अदालत से बाहर मध्यस्थता के माध्यम से किया जा सकता हो। विभागों को ऐसे मामलों की अंतिम सूची 25 जुलाई 2025 तक पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मध्यस्थता और सुलह केंद्र के निदेशक को सौंपनी होगी। इस सूची की प्रति मुख्य सचिव कार्यालय और न्याय प्रशासन विभाग को भी भेजनी अनिवार्य है।