पवन कुमार बंसल : मेरी किताब ‘गुस्ताखी माफ़ हरियाणा से साभार “स्टील किंग ओमप्रकाश जिंदल वाकई ही महान थे।
अपनी मेहनत से बाल्टी बनाने से शुरू होकर विश्व के जाने -माने उद्योगपति बने। राजनीति में चमके। रोहतक जनसत्ता में नियुक्ति के दौरान में उनके संपर्क में आया। एक बार मेरे निवास पर आये तो मैने कहा की अपनी बेटी जाह्नवी का दाखिला आपके हिसार स्कूल में करवाना है।
मुझे अपने साथ हिसार ले गए और स्कूल दिखा कर किसी की ड्यूटी लगाई की बंसल साहिब की बेटी का दाखिला करना है। मैंने फॉर्म भी मंगवाया लेकिन दाखिला नहीं करवाया क्योंकि मेरा बेटा बाहर पढता था और मेरी इतनी तन्खाव्ह नहीं थी की दोनों को हॉस्टल भेज सकू।
जब जिंदल साहिब का फ़ोन आया के तूने दाखिला क्यों नहीं करवाया -क्या स्कूल पसंद नहीं आया।
मेने कहा की स्कूल तो बढ़िया है लकिन मेरे हैसियत नहीं की अपनी बेटी को वहा दाखिल करवाऊं।
जिंदल ने कहा ‘बंसल तुझे फीस की क्या चिंता थी -वो मेरी बेटी है।
जिंदल साहिब बताते थे की उनकी कोशिस होती है की रात का खाना सारा परिवार इकट्ठा खाए। जिंदल साहब बिना तस्मे के जूते पहनते और मूड में हिसार में कंपनी के रेस्ट हाउस में पुराने दोस्तों के साथ ताश खेलते थे। भजन लाल से छतीस का आंकड़ा हो गया।
वैसे जिंदल साहिब ने भजन लाल के दामाद अनूप बिश्नोई की काफी मदद की लेकिन भजन लाल उनसे नाराज हो गए और उनपर टाडा लगा दिया। बस एंडी बनिये ने उसी दिन कसम खाई की बदला लूँगा। जिंदल और हूडा की मुलाक़ात मेरे रोहतक निवास पर हुई।
वहा दोनों में भजन लाल को मुख्य मंत्री पद की रेस से बाहर करने की रणनीति बनी। जिंदल ने हूडा से कहा की पैसे की कोई चिंता नहीं -कुबेर का खजाना खोल दूंगा। उस समय जिंदल साहिब ने जो रकम बताई उसे सुनकर हूडा हैरान हो गए क्योंकि तब हूडा ने एक करोड़ रुपया भी नहीं देखे थे।