Cyber Crime: बदलते वक्त के साथ साइबर ठगों ने भी अपने पैंतरे बदले हैं। साइबर ठग नए-नए तरीकों से आमजन को निशाना बना रहें हैं।
पुलिस अधीक्षक कुरुक्षेत्र नीतीश अग्रवाल ने कहा कि साइबर ठगों के निशाने पर हर वह आदमी है, जो किसी भी डिजिटल माध्यम से जुड़ा है फिर चाहे वह इंटरनेट मीडिया हो या फिर इंटरनेट बैंकिंग। डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनका नाम कोई शिकायत दर्ज हुई है। झूठे मामले को लेकर पीड़ित को पहले काफी डराया जाता है, जिससे वह घबरा जाता है। इसके बाद उन्हें घर से बाहर निकलने से मना कर दिया जाता है। दूसरा फोन कॉल कर के पीड़ितों को मदद देने का आश्वासन दिया जाता है। मदद मानकर पीड़ित ठगों की कही हुई हर बात को फालो करता है। ठग पीड़ितों को एक एप डाउनलोड करने को कहते हैं। लगातार उस एप के जरिये पीड़ित से जुड़े रहते हैं। कुछ देर बाद वह केस को रफा-दफा करने के लिए पीड़ित से कुछ पैसे मांगते हैं। पीड़ित को इतना डरा दिया जाता है कि वह अपने स्वजन और करीबियों से भी इस तरह की बातें बताने में घबराने लगता है। उन्होंने कहा कि काल करने वाला अपने आप को सरकारी कर्मचारी बताएगा । इसने सावधान रहने की जरूरत है।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि अगर कोई आपको पुलिस या सीबीआई अधिकारी बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है,तो सबसे पहले आपको अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचित करना चाहिए। तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करानी चाहिए, इस बात से नहीं डरना चाहिए कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी। साइबर जालसाजी से बचने का सबसे बेहतर तरीका जागरूक होना है। फिर भी अगर फ्राड हो जाये तो नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें।