Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-hide-security-enhancer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u653301726/domains/garimatimes.in/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
हरियाणा की ब्रेन डेड महिला 3 को दे गई नई जिंदगी
Friday, November 22, 2024
Homeहरियाणारोहतकहरियाणा की ब्रेन डेड महिला 3 को दे गई नई जिंदगी, PGI...

हरियाणा की ब्रेन डेड महिला 3 को दे गई नई जिंदगी, PGI रोहतक में किडनी-लीवर, दिल और आंखें दान कीं

PGIMS रोहतक में सराहनीय पहल, ब्रेन-डेड महिला ने 3 मरीजों को दी नई जिंदगी, ग्रीन कॉरिडोर से दिल्ली पहुंचे ऑर्गन, रोहतक में किडनी-लीवर, हार्ट और आंख डोनेट कीं।

रोहतक। हरियाणा में रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (PGIMS) में ब्रेन डेड महिला के परिजनों ने उसके ऑर्गन डोनेट किए हैं। महिला की किडनी, लीवर, हार्ट और आंखों से 3 लोगों को नई जिंदगी और 2 लोगों को रोशनी मिली है। महिला के परिजनों ने स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन व मोहन फाउंडेशन की काउंसलिंग के बाद यह फैसला लिया। PGIMS की वाइस चांसलर (VC) डॉ. अनिता सक्सेना ने कहा कि यह प्रदेश का पहला अंगदान और संस्थान में पहला किडनी ट्रांसप्लांट है।

तीन लोगों को मिला जीवनदान

पीजीआईएमएस में पहली बार दो किडनी ट्रांसप्लांट किए गए। यही नहीं दिल्ली में एक लीवर भी पीजीआईएमएस से भेजा गया। ऑर्गन डोनेशन का यह पहला उदाहरण सामने आया है। एक बेटी ने ब्रेन डेड अपनी मां के अंगदान किए और तीन लोगों को जीवनदान के साथ दो लोगों को आंखों की रोशनी दी। डॉक्टरों के सामने बड़ी चुनौती लीवर को दिल्ली तक पहुंचाने की थी। क्योंकि शरीर से अंग निकालने के बाद कुछ घंटे तक ही ठीक रहता है। लीवर को दिल्ली तक पहुंचाने के लिए पहली बार ग्रीन कॉरिडोर बनवाया गया। पीजीआई से दिल्ली तक पहुंचने में करीब 3 से 4 घंटे लग जाते हैं, लेकिन पुलिस की मदद से एम्बुलेंस लीवर को लेकर डेढ़ घंटे से भी कम समय में दिल्ली पहुंच गई। इसे बाद वहां लीवर दूसरे व्यक्ति को लगा दिया गया।

ब्रेन हेमरेज होने पर भर्ती हुई महिला

करीब 43 वर्षीय महिला 30 जनवरी 2024 को ब्रेन हेमरेज होने के चलते PGIMS में भर्ती कराई गई थी। न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. ईश्वर सिंह व डॉ. गोपाल की निगरानी में उसका ICU में इलाज चला। डॉ. ईश्वर सिंह को इलाज के दौरान पता चला कि महिला का ब्रेन डेड हो चुका है। ऐसे में उन्होंने डेथ सर्टिफिकेट कमेटी को अपना अलर्ट भेजा। इसके बाद PGIMS के डायरेक्टर डॉ. एसएस लोहचब और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. कुदन मित्तल ने कमेटी बनाकर महिला की क्लीनिकल जांच और टेस्ट समेत सभी मेडिकल जांच के आदेश दिए। कमेटी ने पाया कि महिला का ब्रेन डेड हो चुका है।

बेटी ने मां की यादों को जिंदा रखने के लिए फैसला लिया

इसके बाद स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से नोडल अधिकारी डॉ. सुखबीर सिंह, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर दीप्ति, मोहन फाउंडेशन की प्रोजेक्ट लीडर रेणु कुमारी व आईईसी कंसल्टेंट राजेश कुमार ने महिला के परिवार से संपर्क किया और ऑर्गन डोनेट के बारे में बताया। महिला की बेटी ने अपनी मां की यादों को जिंदा रखने का फैसला किया। बेटी ने महिला की किडनी, लीवर, हार्ट और आंखों को डोनेट करने के बारे में कहा। इसके बाद हरियाणा व अन्य राज्यों में अलर्ट भेजा गया। इसके बाद चंडीगढ़ PGI, आरआर अस्पताल नई दिल्ली, आईएलबीएस नई दिल्ली से टीमें ऑर्गन लेने के लिए रोहतक PGIMS पहुंची।

पहली बार बना ग्रीन कॉरिडोर

PGIMS के डायरेक्टर डॉ. एसएस लोहचब ने बताया कि शरीर से अंग निकालने के बाद उसकी कुछ घंटे का टाइम पीरियड होता है। उस दौरान अंग दूसरे शरीर में लगाना होता है। अगर समय रहने अंग शरीर में नहीं लगाया तो वह खराब हो जाता है। उनकी टीम ने जिला प्रशासन व पुलिस से संपर्क किया। इस पर प्रशासन ने बिना किसी देरी के तुरंत प्रभाव से रोहतक से दिल्ली और रोहतक से चंडीगढ़ के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार करवा दिया। रोहतक PGI से दिल्ली तक पहुंचने में कई बार करीब 3 से 4 घंटे लग जाते हैं, लेकिन रोहतक पुलिस की मदद से एम्बुलेंस लीवर को लेकर डेढ़ घंटे से भी कम समय में लेकर दिल्ली पहुंच गई।

प्रदेश में स्थापित हुआ नया कीर्तिमान

PGIMS की VC डॉ. अनीता सक्सेना ने कहा कि सरकार व स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई सुविधाओं के माध्यम से प्रदेश में नया कीर्तिमान स्थापित हो पाया है। महिला के परिवार ने अंगदान करके पूरे प्रदेश में नई मिसाल कायम करते हुए सबके सामने एक उदाहरण पेश किया है कि हम मरने के बाद भी इस दुनिया में अपनों को कैसे जीवित रख सकते हैं। वहीँ न्यूरोसर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ईश्वर सिंह ने बताया कि महिला हमेशा समाज की भलाई के लिए दूसरों को संदेश देती थी और अब उन्होंने जाते-जाते पूरे प्रदेश को अंगदान का संदेश देकर बहुत नेक कार्य किया है।

बेटी ने उठाया साहसिक कदम

महिला की बेटी का मानना था कि वह चाहती है कि उनकी मां हमेशा इस दुनिया में उनके साथ बनी रहे। इसीलिए उन्होंने अपनी मां के अंगों को दान किया है ताकि वह किसी न किसी रूप में इस स्वर्ग जैसी धरती पर बनी रहे। महिला की बेटी व उनके परिवार ने बहुत बड़ा साहसिक कदम उठाया है, क्योंकि गत माह ही महिला के पति का भी देहांत हो गया था।

रातभर काम करके मरीज की करवाई जांच

मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. कुंदन मित्तल ने बताया कि मरीज के अंग निकालकर किसी अन्य मरीज में लगाने से पहले कुछ जांच करवानी आवश्यक होती है। इसके बिना किसी भी हाल में ट्रांसप्लांट नहीं हो सकता। ऐसे में संस्थान द्वारा स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की टीम के साथ मिलकर रात को ही गाड़ी दिल्ली भेजकर मरीज के टेस्ट करवाए गए।

PGIMS सिक्योरिटी व प्रशासन के सहयोग से शाम को ग्रीन कॉरिडोर बनवाकर 90 मिनटों से भी कम समय में महिला के लीवर को दिल्ली पहुंचाकर ट्रांसप्लांट करवाया गया। प्रशासन के सहयोग से 3 ग्रीन कॉरिडोर बनवाए थे, लेकिन कुछ कारणों के चलते पीजीआई चंडीगढ़ को किडनी नहीं भेजी जा सकी और रोहतक के ही 2 मरीजों को किडनी लगाई गई। 2 मरीजों को कॉर्निया (आंखों का पार्ट) लगाया गया। दिल्ली में लीवर भेजा गया। इसके साथ ही हार्ट को कुछ तकनीकी कारणों के चलते आरआर अस्पताल दिल्ली की टीम नहीं लेकर जा सकी।

- Advertisment -
RELATED NEWS
- Advertisment -

Most Popular