Tuesday, April 29, 2025
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MP बना देश का पहला राज्य जहां रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम लागू

MP forest AI Supervision: मध्यप्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जंगलों की निगरानी होगी. प्रदेश ने इसके लिए रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम लागू कर दिया है. अब मध्यप्रदेश के जंगलों में सक्रिय वन माफिया, अवैध शिकारी, कीमती लकड़ी की चोरी करने वाले गिरोह जैसे अवैध काम वाले लोगों की खैर नहीं. रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम लागू होने से ना केवल जंगल की निगरानी हो सकेगी बल्कि इससे सरकार माफियाओं पर भी नकेल कस पाएगी.

MP forest AI Supervision:  सक्रिय वन प्रबंधन की दिशा में इसे ऐतिहासिक कदम

रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम को लागू करने वाला मध्यप्रदेश भारत का पहला राज्य है. इसे सक्रिय वन प्रबंधन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. यह सिस्टम उपग्रह चित्रों, मोबाइल फीडबैक और मशीन लर्निंग की मदद से कार्य करती है, जो भूमि अतिक्रमण, भूमि उपयोग परिवर्तन और वन ह्रास का पता लगाकर वन विभाग को समय पर कार्रवाई के लिये सक्षम बनाता है.

तत्काल कार्यवाही के लिये सशक्त

गुना डीएफओ अक्षय राठौर ने सोमवार को बताया कि यह पहली बार है जब हमने सेटेलाइट, एआई और फील्ड फीडबैक को एक निरंतर चक्र में जोड़ा है, जो खुद को समय के साथ सुधारता है. यह प्रणाली फॉरेस्ट स्टॉफ को केवल निगरानी नहीं, बल्कि तत्काल कार्यवाही के लिये सशक्त बनाती है. अलर्ट जनरेशन और फीडबैक प्रक्रिया में प्रारंभिक अलर्ट जनरेशन में गूगल अर्थ इंजन द्वारा तीन तारीखों के उपग्रह चित्रों की तुलना, फसल, बंजर भूमि, निर्माण इत्यादि में बदलाव की पहचान करता है. इसके साथ ही महत्वपूर्ण पिक्सल परिवर्तन के आधार पर पॉलीगन अलर्ट, फील्ड सत्यापन के अंतर्गत मोबाइल ऐप पर अलर्ट भेजना, फील्ड स्टॉफ जीपीएस टैग की गई फोटो, वाइस नोट और टिप्पणियां अपलोड करना एवं डेटा समृद्धि में एनडीवीआई, एसएवीआई, ईवीआई जैसे इंडेक्स और एसएआर विशेषताओं को जोड़ने से एक अलर्ट में लगभग 20+ इंडिपेंडेंट फीचर्स तैयार होते हैं. मशीन लर्निंग मॉडल सुधार के अंतर्गत फील्ड से मिले फील्ड बैक के आधार पर एआई मॉडल का पुन: प्रशिक्षण और गलत अलर्ट की संख्या में कमी के साथ सटीकता में वृद्धि होगी.

पांच संवेदनशील वन मण्डलों में लागू

जनसम्पर्क अधिकारी केके जोशी ने जानकारी दी कि वन विभाग द्वारा पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में इस प्रणाली को पांच संवेदनशील वन मण्डलों में लागू किया गया है, जिनमें शिवपुरी, गुना, विदिशा, बुरहानपुर और खण्डवा शामिल हैं. इन जंगलों में अतिक्रमणों और पेड़ों की कटाई की घटनायें ज्यादा होती हैं.

 

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