पिछले 13 वर्षों में 18 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़कर 135 देशों की नागरिकता अपनाई है। इनमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, फिजी, म्यांमार, थाईलैंड, नामीबिया, नेपाल और श्रीलंका जैसे विकास की दृष्टि से भारत से पीछे रहने वाले देशों के अलावा अमेरिका, कनाडा, रूस, चीन, मिस्र, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्विट्ज़रलैंड, यूके, तुर्की, यूएई और वियतनाम जैसे प्रमुख देशों का भी नाम है।
विदेश मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 2,25,620 और 2023 में 2,16,219 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। 2015 से 2023 तक लगभग 12 लाख लोग भारतीय नागरिकता छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं। मंत्रालय के अनुसार, इस प्रवृत्ति के पीछे व्यक्तिगत कारणों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर करियर अवसर, उच्च गुणवत्ता वाली जीवनशैली, शैक्षिक संभावनाओं का विस्तार और वैश्विक गतिशीलता के कारण भारतीय नागरिक दूसरे देशों की नागरिकता की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त, कई विकसित देशों में मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रणालियाँ और दोहरी नागरिकता की अनुमति भी इस प्रवृत्ति में योगदान दे रही हैं।
भारत में वर्तमान में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है, हालांकि ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) योजना के तहत भारतीय मूल के व्यक्तियों को विशेष अधिकार प्राप्त हैं।