Wednesday, April 16, 2025
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पश्चिम बंगाल में हिंदू परिवारों का पलायन जारी, पहुंच रहे हैं झारखंड

west bengal violence: हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा पारित वक्फ संसोधन 2025 को पारित किया गया. इस बिल के खिलाफ पश्चिम बंगाल में हिंसा की आग भड़क उठी है. प्रदर्शनकारी लगातार हिंदू परिवारों को अपना निशाना बना रहे हैं. राज्य में सबसे अधिक हिंसा मुर्शिदाबाद और 24 परगना में हो रही है. इस हिंसा में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है.

आलम इस कदर हो गया है कि हिंदू परिवारों के कई लोगों को अपना आशियाना छोड़ कर दूसरे राज्य में शरण लेनी पड़ रही है. पश्चिम बंगाल के धुलियान क्षेत्र के जाफराबाद गांव से करीब 170 पीड़ित परिवार अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. इस बीच 50 से ज्यादा हिंसा ग्रस्त लोग झारखंड साहिबगंज के राजमहल पहुंच चुके हैं.

west bengal violence: पीड़ित परिवारों का पलायन जारी 

घटना को लेकर पीड़ित परिवारों ने बताया कि हिंसा की घटना के चार घंटे के बाद पुलिस पहुंची, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. इस घटना को देखकर घर के सभी सदस्य डर गए और वहां से निकलने के लिए कोशिश करने लगे. उन्हें हादसे के बाद कुछ घंटे तक मदद नहीं मिली तो मां को मरीज बनाकर एंबुलेंस के माध्यम से पहले पाकुड़ पहुंचे, फिर वहां से राजमहल आए. गांव के अन्य परिवार के सदस्य भी अपने-अपने रिश्तेदारों के पास सुरक्षित स्थान पहुंच गए हैं. इस हिंसक घटना के बाद गांव पूरी तरह से खाली हो गया है.

हिंसा से पीड़ित हृदय दास नाम के व्यक्ति ने बताया कि मेरी 85 वर्षीय बुजुर्ग मां को मरीज बनाकर एंबुलेंस में 12 सदस्य सवार होकर किसी तरह राजमहल स्थित अपने रिश्तेदार के घर पहुंचे. उन लोगों ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि बीते जुमे की नमाज के बाद एकाएक हिंसा भड़की और किसी तरह वह जान बचाकर घर में छुपे रहे. लेकिन दूसरे दिन सुबह 11 बजे बम और धारदार हथियार से लैस, नकाब पहनकर 50-60 लोगों ने उनके घर पर हमला कर दिया और उनके भाई हरगोविंद दास और भतीजा चंदन दास की हत्या कर दी.

महिलाएं अपनी आपबीती बताते हुए रो पड़ीं

वहीं बीजेपी पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने मालदा के एक स्कूल में स्थापित राहत शिविर का दौरा किया. इस राहत शिविर में मुर्शिदाबाद हिंसा से पीड़ित हिंदू परिवारों ने शरण ली है. उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बताया कि कई महिलाएं अपनी आपबीती बताते हुए रो पड़ीं. उनके घरों को आग लगा दी गई, संपत्ति नष्ट कर दी गई और उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गईं. एक महिला ने अपने चार दिन के बच्चे के साथ यहां शरण ली है.

उन्होंने कहा कि शुरुआत में 200-250 परिवारों ने यहां शरण ली थी. अब शिविर बंद कराने के पुलिस के दबाव के चलते और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नाकामी को छुपाने के लिए करीब 75 परिवार ही बचे हैं. वे अब भी डर के साये में जी रहे हैं.

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