Tuesday, May 7, 2024
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मीनाक्षी मंदिर जहां सुन्दरेश्वर रूप में पूजे जाते हैं शिव और मीनाक्षी रूप में मां पार्वती, तीन स्तनों का क्या है रहस्य, जाने

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मदुरई। मीनाक्षी देवी मंदिर पूरे भारत में विशेष माना जाता है। इस मंदिर को दुनिया के 7 अजूबों की लिस्ट में भी शामिल किया गया था। मीनाक्षी देवी मंदिर तमिलनाडु के मदुरई नगर में स्थित एक ऐतिहासिक मन्दिर है, जिसे देखने के लिए भारत से ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग आते हैं और घंटों मंदिर के दर्शन का इंतजार करते हैं। मीनाक्षी देवी को पार्वती का अवतार माना जाता है। मीनाक्षी देवी मंदिर 2500 साल पुराना है। मंदिर की भव्य बनावट के अलावा मंदिर में स्थित मीनाक्षी देवी की प्रतिमा भी लोगों के लिए बहुत ही रहस्यमय है क्योंकि मीनाक्षी देवी की प्रतिमा में तीन स्तन है। आइए, जानते हैं कि मीनाक्षी देवी मंदिर और इस देवी के तीन स्तन होने के पीछे क्या रहस्य है।

​इतना भव्य है मीनाक्षी देवी मंदिर​

इतिहासकारों का मानना है कि यह मंदिर 2500 साल से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर का गर्भगृह 3500 वर्ष पुराना है। इसकी बाहरी दीवारें और बाहर का मंदिर परिसर 1500-2000 वर्षों से भी ज्यादा पुराने हैं। इस भव्य मंदिर का निर्माण 45 एकड़ भूमि में हुआ है। मीनाक्षी देवी मंदिर देवी पार्वती के साथ शिव भी यहां विराजमान हैं। इस मंदिर में 12 भव्य गोपुरम है, जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर में 8 खम्भे बनाए गए हैं, जिन पर माता लक्ष्मी की आठ मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इन खम्भों पर भगवान शिव की पौराणिक कहानियां लिखी गई हैं। इसी मंदिर में भगवान गणेश की एक मूर्ति भी हैं, जिस पर पत्थर से महीन नक्काशी की गई है।
​मीनाक्षी मंदिर में बने हैं दो विशेष मंदिर​

मीनाक्षी मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसके परिसर में दो मंदिर है। एक मंदिर है मीनाक्षी मंदिर और दूसरे को कहा जाता है प्रधान मंदिर। यहां मीनाक्षी देवी के एक हाथ में तोता है और दूसरे हाथ में एक छोटी-सी तलवार है। इनके मंदिर की दीवार पर एक कल्याण उत्सव का एक चित्र अंकित किया गया है। जबकि दूसरे मंदिर में सुंदरेश्वर देव का मंदिर है, जिन्हें शिव का अवतार माना जाता है। यहां पाणिग्रहण समारोह में सुंदरेश्वर देव का हाथ मीनाक्षी देवी के हाथों में सौंपा जाता है। एक ओर जहां हिन्दू धर्म में कन्यादान किया जाता है, वहीं दूसरी तरफ मीनाक्षी देवी मंदिर में एक अनुपम परम्परा देखी जाती है। मान्यता है कि हर रात्रि सुंदरेश्वर मीनाक्षी के देवी के गर्भगृह में यात्रा करते हैं। इस दौरान दोनों दम्पति साथ रहते हैं, जिन्हें इस समय पर कोई परेशान नहीं करता।

मीनाक्षी देवी का नाम क्यों रखा गया मीनाक्षी​

पौराणिक कहानी के अनुसार मदुरै के राजा मलयध्वज पांड्या और उनकी पत्नी ने पुत्र पाने के लिए यज्ञ किया था। इस यज्ञ से उन्हें जो पुत्री प्राप्त हुई, उसकी आयु तीन वर्ष थी। एक सामान्य बच्चे से आयु में बड़ी जन्मीं पुत्री की एक विशेष बात यह थी कि उसकी आंखें मछली की तरह बड़ी-बड़ी और सुडौल थी। इस कारण से राजा मलयध्वज और उनकी पत्नी ने अपनी पुत्री का नाम मीनाक्षी रखा।

​तीन स्तन के साथ जन्मी थी मीनाक्षी देवी​

मीन के समान आंखे होने के अलावा राजा मलयध्वज की पुत्री के तीन स्तन भी थे। अपनी पुत्री के तीन स्तन देखकर राजा-रानी बहुत दुखी हुए। यह देखकर भगवान शिव ने राजा को दर्शन देखकर कहा कि जब उनकी पुत्री के लिए योग्य वर मिल जाएगा, तो यह तीसरा स्तन अपने आप गायब हो जाएगा। शिव ने यह भी कहा कि उनकी पुत्री बहुत ही साहसी भी होगी, इसी कारण राजा की तरह उनकी पुत्री भी उनके राज्य पर राज करेगी।

साहसी मीनाक्षी देवी पूरे संसार को जीतना चाहती थी​

मीनाक्षी देवी बहुत ही साहसी थी। इस कारण से पूरे संसार पर राज करना चाहती थी। अपने उद्देश्य को पूर करने के लिए रानी मीनाक्षी ने कई राजाओं को हराया। राजा ही नहीं, मीनाक्षी देवी ने कई देवताओं को भी पराजित किया। अपने विजय रथ पर सवार होकर मीनाक्षी देवी एक दिन एक वन में पहुंची, जहां पर उन्हें एक युवा सन्यासी मिला। जब मीनाक्षी देवी इस सन्यासी से मिली, तो उनका तीसरा स्तन खुद ही गायब हो गया। स्तन गायब होते ही उन्हें समझ आया कि शिव की कही बात के अनुसार यह सन्यासी ही उनका योग्य वर है। यह सन्यासी कोई और नहीं बल्कि भगवान शिव ही थे। इस सन्यासी नाम था सुंदरेश्वर देव। सुंदरेश्वर को देखकर रानी मीनाक्षी को स्मरण हुआ कि वे पहले भी इस युवक से मिल चुकी हैं और उन्हें याद आ गया कि वे पार्वती का अवतार हैं और यह सन्यासी भगवान शिव है। सन्यासी के साथ मीनाक्षी देवी वापस मदुरै पहुंची, जहां पर उनका विवाह सुंदरेश्वर देव से हुआ।

​कैसे पहुंचे मीनाक्षी मंदिर​

मीनाक्षी मंदिर में हमेशा ही भीड़ होती है, इसलिए आपको यहां जाने के लिए एडवांस बुकिंग करानी होगी। आप अगर फ्लाइट से मीनाक्षी मंदिर जाना चाहते हैं, तो मदुरै एयरपोर्ट पहुंचने के बाद यहां से मीनाक्षी मंदिर जाने के लिए आप टैक्सी बुक कर सकते हैं। वहीं, अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं, तो मदुरै रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। स्टेशन पर पहुंचने के बाद आप बस या टैक्सी बुक करके मंदिर पहुंच सकते हैं।

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