Thursday, January 30, 2025
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महाकुंभ मेले में सख्त बदलाव, जानें क्या हैं नए नियम और सुविधाएँ

प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ मेले में मंगलवार रात हुई भगदड़ के बाद प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के दृष्टिकोण से कड़े कदम उठाए हैं। प्रशासन ने मेले में कुछ अहम बदलाव किए हैं, जिनका पालन श्रद्धालुओं और यात्रियों को करना होगा। ये बदलाव न केवल यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए हैं, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करने के लिए हैं। आइए जानते हैं कि क्या हैं ये बदलाव और कैसे ये मेले में आने वाले लोगों को प्रभावित करेंगे।

नो-व्हीकल जोन: सिर्फ पैदल जाने की अनुमति
अब पूरी मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि मेला क्षेत्र में किसी भी प्रकार के वाहन का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। इसके कारण, श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र तक पैदल ही पहुंचना होगा। इसके अलावा, प्रयागराज शहर में चार पहिया वाहनों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। हालांकि, केवल बाइक की अनुमति दी गई है, लेकिन यह भी सीमित संख्या में उपलब्ध रहेगी।

गाड़ियों की पार्किंग: मेला क्षेत्र से दूर करें वाहन
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गाड़ियों की पार्किंग व्यवस्था भी बदल गई है। सभी वाहन मेला क्षेत्र के बाहर बने पार्किंग स्थलों पर पार्क किए जाएंगे। यहां से मेला क्षेत्र तक पैदल ही जाना होगा। पार्किंग के लिए प्रमुख रूट्स के बारे में जानकारी इस प्रकार है:

  • जौनपुर रूट: सहसों से गारापुर होते हुए चीनी मिल झूंसी और पूरेसूरदास गारापुर रोड पार्किंग उपलब्ध हैं।
  • वाराणसी रूट: कनिहार रेलवे अंडरब्रिज से आगे शिवपुर उस्तापुर पटेल बाग और कान्हा मोटर्स पार्किंग उपलब्ध हैं।
  • कानपुर और लखनऊ रूट: नवाबगंज, मलाक हरहर सिक्स लेन होते हुए बेली कछार और बेला कछार पार्किंग हैं।
  • रीवा रोड रूट: नैनी एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट पार्किंग और नव प्रयागम पार्किंग उपलब्ध हैं।
  • मिर्जापुर रूट: देवरख उपरहार और सरस्वती हाईटेक पार्किंग हैं।
  • कौशांबी रूट: नेहरू पार्क और एयरफोर्स मैदान पार्किंग हैं।

ट्रेन यात्रा: प्रयागराज से मेला क्षेत्र तक कैसे पहुंचे
जो श्रद्धालु ट्रेन से महाकुंभ में आ रहे हैं, उन्हें भी मेला क्षेत्र तक पहुंचने के लिए पैदल चलना होगा। प्रयागराज में 9 प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं, जिनसे श्रद्धालु विभिन्न प्रमुख शहरों की ओर यात्रा कर सकते हैं। इन स्टेशनों से संगम तक पहुंचने के लिए 3 किलोमीटर से लेकर 16 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करनी होगी।

महाकुंभ तक पहुंचने के लिए अन्य परिवहन विकल्प
महाकुंभ तक पहुंचने के लिए कई अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं, जैसे कि ओला और रैपिडो बाइक सर्विस। हालांकि, इनकी संख्या बहुत सीमित है और भीड़-भाड़ के कारण सभी को यह सुविधा नहीं मिल पाएगी। ऑटो, ई-रिक्शा और ई-कार्ट जैसे अन्य परिवहन विकल्प भी मेला क्षेत्र में निषिद्ध हैं।

एयरपोर्ट से महाकुंभ तक पहुंचने का तरीका
जो लोग एयरपोर्ट से महाकुंभ आ रहे हैं, उनके लिए भी कुछ विशेष बदलाव किए गए हैं। एयरपोर्ट से उतरने के बाद श्रद्धालु हाईकोर्ट फ्लाईओवर तक कार से आ सकते हैं। इसके बाद मेला क्षेत्र तक पहुंचने के लिए उन्हें बाइक का सहारा लेना होगा। इसके बाद 8 किलोमीटर पैदल चलकर संगम तक पहुंचना होगा।

दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए विशेष व्यवस्था
महाकुंभ में दिव्यांग और बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए कोई विशेष परिवहन व्यवस्था नहीं होगी। उन्हें भी मेला क्षेत्र तक पैदल ही जाना होगा, जैसा कि अन्य श्रद्धालुओं को करना होगा।

गंगा में नाव सेवा की स्थिति
महाकुंभ में संगम तक पहुंचने के लिए नाव की सेवा उपलब्ध है। श्रद्धालु संगम तक नाव से भी जा सकते हैं, लेकिन बसंत पंचमी के दिन इस पर रोक लगाई जा सकती है। यह मुख्य स्नान पर्व के दौरान आमतौर पर देखा जाता है, क्योंकि उस दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है।

मुख्य मंदिरों में जाने के नियम
महाकुंभ के दौरान प्रमुख मंदिरों जैसे कि लेटे हनुमान मंदिर, अक्षयवट, नागवासुकी मंदिर, आनंद भवन आदि में श्रद्धालु पैदल ही जा सकते हैं। इन मंदिरों की खुलने की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन बसंत पंचमी के दिन इन मंदिरों में भीड़ के कारण प्रवेश पर रोक लग सकती है।

स्नान और अन्य कार्यों के लिए पैदल यात्रा
जो लोग स्नान के लिए संगम पर आ रहे हैं, उन्हें 2 से 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होगी। इसके अलावा, अखाड़ों तक पहुंचने के लिए भी श्रद्धालुओं को 2 से 2.5 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होगी।

पार्किंग और यातायात व्यवस्थाएं
महाकुंभ मेले के दौरान प्रमुख मार्गों पर यातायात की स्थिति पर ध्यान दिया जा रहा है। प्रशासन की ओर से विभिन्न पार्किंग स्थल और रूट्स की व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालु आसानी से पार्किंग कर सकें और फिर मेला क्षेत्र तक पैदल या बाइक से पहुंच सकें। हालांकि, वाहनों के लिए कुछ दिन बाद रोक भी लग सकती है, खासकर 1 और 2 फरवरी को जब श्रद्धालुओं की संख्या अधिक हो सकती है।

निष्कर्ष
महाकुंभ मेला एक विशाल धार्मिक आयोजन है, जहां लाखों श्रद्धालु जुटते हैं। प्रशासन द्वारा किए गए यह बदलाव मेले की सुरक्षा और सुचारु संचालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। सभी श्रद्धालुओं को इन बदलावों का पालन करना होगा ताकि आयोजन सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से सम्पन्न हो सके। इन परिवर्तनों से श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में पहुंचने में कुछ कठिनाई हो सकती है, लेकिन यह उनके और उनकी सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।

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