प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रधानमंत्री ने उन्हें भारत की अंतरात्मा की सबसे निर्भीक आवाज़ों में से एक और लोकतंत्र तथा सामाजिक न्याय का अटूट समर्थक बताया है।
पीएम ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने अपना जीवन आम नागरिकों को सशक्त बनाने और संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया। संपूर्ण क्रांति के उनके आह्वान ने एक सामाजिक आंदोलन को प्रज्वलित किया, जिसका उद्देश्य समानता, नैतिकता और सुशासन पर आधारित राष्ट्र का निर्माण करना था।
पीएम ने उनकी चिरस्थायी विरासत का स्मरण करते हुए कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने विशेष रूप से बिहार और गुजरात में कई जन आंदोलनों को प्रेरित किया, जिससे पूरे भारत में सामाजिक-राजनीतिक जागृति आई। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन आंदोलनों ने केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिलाकर रख दिया, जिसने आपातकाल लागू किया और संविधान को रौंद डाला।
पीएम ने इस अवसर पर अभिलेखागार से एक दुर्लभ झलक-आपातकाल के दौरान लिखी गई लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुस्तक “प्रिजन डायरी” के पृष्ठ साझा किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पुस्तक जयप्रकाश नारायण की पीड़ा और एकांत कारावास के दौरान लोकतंत्र में उनकी अटूट आस्था को दर्शाती है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण को उद्धृत करते हुए, प्रधानमंत्री ने उनके मार्मिक शब्दों पर प्रकाश डाला: “भारतीय लोकतंत्र के ताबूत में ठोकी गई हर कील मेरे दिल में ठोकी गई कील के समान है।